देश में 2024 में ‘एक देश-एक चुनाव’ मुमकिन नहीं, जानें लॉ कमीशन ने क्या कहा, POCSO पर भी दिए सुझाव

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नई दिल्ली: आगामी चुनावों को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। इस बीच, इस बात की जोरों-शोरों से चर्चा है कि क्या सरकार इसी बार से ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के ध्येय की ओर बढ़ेगी। हालांकि, अब इससे पर्दा उठते दिख रहा है। सूत्रों के हवाले से सामने आ रहा है कि तमाम चर्चाओं के बाद विधि आयोग इस नतीजे पर पहुंच रहा है कि 2024 में वन नेशन-वन इलेक्शन को लागू किया जाना मुश्किल होगा। इस सिलसिले में लॉ कमीशन ऑफ इंडिया ने ‘एक देश एक चुनाव’ सहित तीन मुद्दों पर विचार करने के लिए बुधवार को एक बैठक बुलाई थी। इस बैठक में UCC और पोस्को पर सहमति बन गई है, हालांकि, ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ मामले पर कुछ पेच फंसा है। 

विधि आयोग की बैठक के बाद आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ऋतुराज ने कहा था कि बुधवार की बैठक में हमने एक राष्ट्र एक चुनाव की अवधारणा पर चर्चा की। लेकिन इस मुद्दे पर कोई ठोस नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं। लगता है कुछ बैठक और करनी होंगी। अंतिम रिपोर्ट भेजने से पहले और बैठकें होंगी।

 वन नेशन-वन इलेक्शन पर रिपोर्ट 

उल्लेखनीय है कि 2024 के आम चुनावों से पहले ‘एक देश-एक चुनाव’ पर विधि आयोग की रिपोर्ट सामने आ सकती है। इस रिपोर्ट में आयोग भारत में एक साथ चुनावों को वास्तविकता बनाने के लिए संविधान में संशोधन का सुझाव देगा। आयोग का कहना है कि 2024 चुनाव से पहले एक राष्ट्र एक चुनाव लाना संभव नहीं है। 

सूत्रों ने बताया कि एक साथ चुनाव पर विधि आयोग की रिपोर्ट तैयार नहीं है क्योंकि कुछ मुद्दों का निपटारा होना बाकी है। वर्ष 2029 से राज्यों की विधानसभाओं और लोकसभा, दोनों चुनाव एक साथ कराना सुनिश्चित करने के लिए न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी के तहत आयोग विधानसभाओं के कार्यकाल को कम करने या बढ़ाने का सुझाव दे सकता है। सूत्रों ने बताया कि यह सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र तैयार किया जा रहा है कि एक बार लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की व्यवस्था हो जाए, तो मतदाता दोनों चुनावों के लिए मतदान करने के वास्ते केवल एक बार मतदान केंद्र पर जाएं।

सूत्रों ने बताया कि क्योंकि विधानसभा और संसदीय चुनाव विभिन्न चरणों में होते हैं, इसलिए आयोग इस बात पर भी गौर कर रहा है कि मतदाता दो चुनावों के लिए मतदान करने के वास्ते एक से अधिक बार मतदान केंद्रों पर न जाएं। उन्होंने कहा कि आयोग का विचार है कि विधानसभा और संसदीय चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं और वह केवल व्यापक लोकतांत्रिक कवायद के सुचारू संचालन के लिए तौर-तरीकों पर काम कर रहा है। फिलहाल आयोग का काम विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ कराने के तरीके सुझाना है। 

POSCO पर विधि आयोग ने कहा 

विधि आयोग ने सरकार को सलाह दी है कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत यौन संबंधों के लिए सहमति की मौजूदा उम्र में बदलाव नहीं किया जाए और 16 से 18 वर्ष की आयु के किशोरों की मौन स्वीकृति से संबंधित पॉक्सो मामलों में सजा के विषय में निर्देशित न्यायिक विवेक लागू करने का सुझाव दिया।

विधि आयोग ने पॉक्सो कानून के तहत यौन संबंधों के लिए सहमति की उम्र पर अपनी रिपोर्ट कानून मंत्रालय को सौंपी है, जिसमें इसने सुझाव दिया है कि 16 से 18 वर्ष की आयु के किशोरों की ओर से मौन स्वीकृति से जुड़े मामलों में स्थिति को सुधारने के लिए संशोधनों की आवश्यकता है। देश में, सहमति की उम्र अभी 18 वर्ष है।  

आयोग ने कहा कि सहमति की उम्र घटाने का सीधा और नकारात्मक असर बाल विवाह एवं बाल तस्करी के खिलाफ लड़ाई पर पड़ेगा। आयोग ने अदालतों को उन मामलों में सतर्कता बरतने की सलाह दी, जहां यह पाया जाए कि किशोरावस्था के प्रेम को नियंत्रित नहीं किया जा सकता और इसका आपराधिक इरादा नहीं रहा होगा।