नवभारत डिजिटल टीम: NDA में वापसी के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar ) ने बुधवार (7 फरवरी) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से मुलाकात की। बताया जा रहा है कि दोनों नेताओं की मुलाकात प्रधानमंत्री आवास पर हुई। बता दें कि बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद नीतीश कुमार और पीएम मोदी से पहली बार मिले। गौरतलब है कि नीतीश कुमार ने महागठबंधन से अलग होकर 28 जनवरी को भारतीय जनता पार्टी के मिलकर नई सरकार बनाई। इससे पहले बिहार में बीजेपी और JDU ने साल 2020 में भी सरकार बनाई थी। ऐसे में दोबारा बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने और मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद नीतीश की पीएम मोदी के साथ पहली औपचारिक मुलाकात है।
2020 में भाजपा फिर राजद का हाथ थामा
उल्लेखनीय है कि साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम में भाजपा के साथ सरकार बनाने का जनादेश लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कमान संभाली थी, लेकिन बीच में उन्होंने लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल का दामन थाम लिया था।
Chief Minister of Bihar, Shri @NitishKumar, met Prime Minister @narendramodi. pic.twitter.com/90j2edfVXE
— PMO India (@PMOIndia) February 7, 2024
क्या बोले नीतीश कुमार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात के बाद जदयू प्रमुख कुमार ने बाद में पत्रकारों से संक्षिप्त टिप्पणी में 2013 में भाजपा के साथ संबंध तोड़ने से पहले, 1995 से भाजपा के साथ अपने जुड़ाव को याद किया और कहा कि उन्होंने इसे दो बार छोड़ा होगा, लेकिन अब ऐसा कभी नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, “अब कभी नहीं। हम यहीं (राजग में) रहेंगे।” यह बैठक कुमार के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा 12 फरवरी को विधानसभा में विश्वास मत का सामना करने से पांच दिन पहले हुई है। कुमार ने आठ मंत्रियों के साथ शपथ ली थी, जिनमें भाजपा और जदयू के तीन-तीन मंत्री शामिल थे और मंत्रिपरिषद का विस्तार होना है।
दोनों दलों को लोकसभा चुनाव से पहले कई पेचीदा राजनीतिक मुद्दों से निपटना होगा, जिसमें उनके और उनके छोटे सहयोगियों के बीच चुनाव लड़ने के लिए संसदीय सीटों का वितरण भी शामिल है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा और जदयू ने बिहार में 17-17 सीट पर चुनाव लड़ा था, जबकि तत्कालीन लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने छह सीट पर चुनाव लड़ा था। लोजपा अब दो गुटों में विभाजित है। राजग में अब बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा भी शामिल हैं।
सूत्रों ने कहा कि एक विचार यह भी है कि कुमार चाहते हैं कि बिहार विधानसभा को भंग कर दिया जाए ताकि इसका चुनाव अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव के साथ हो सके, लेकिन हो सकता है कि भाजपा, इस विचार के प्रति उतनी उत्साहित नहीं हो। विधानसभा में भाजपा की सीट संख्या जदयू से अधिक है। सीट-बंटवारे के मुद्दे के बारे में पूछे जाने पर, कुमार ने इसे अधिक तवज्जो नहीं देते हुए कहा कि भाजपा नेता इससे अवगत हैं। बिहार में राज्यसभा की छह सीट खाली हो रही हैं, जिनके लिए 27 फरवरी को चुनाव होना है।