नई दिल्ली. आज जहां देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) की जयंती (Birth Anniversary) है। वहीं इस मौके पर कांग्रेस नेता सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने दिल्ली में ‘वीर भूमि’ पर जाकर उन्हें पुष्पांजलि दी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) और प्रियंका गांधी भी श्रद्धांजलि देने पहुंचे। वहीं आज कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने अपने पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को उनकी जयंती पर लद्दाख में पैंगोंग त्सो के तट पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
#WATCH | Congress MP Rahul Gandhi pays tribute to his father and former Prime Minister Rajiv Gandhi on his birth anniversary from the banks of Pangong Tso in Ladakh pic.twitter.com/OMXWIXR3m2
— ANI (@ANI) August 20, 2023
जानकारी दें कि, राहुल गांधी फिलहाल 25 अगस्त तक लद्दाख दौरे पर हैं। वे लेह से बाकायदा बाइक राइड करते हुए पैंगोंग त्सो लेक पहुंचे। उन्होंने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर कुछ तस्वीरें शेयर की थीं। राहुल ने लिखा- ‘पैंगोंग त्सो जाने के रास्ते में। मेरे पिता कहते थे, ये दुनिया की सबसे खूबसूरत जगहों में शामिल है।’
वहीं आज अपनी पिता को याद करते हुए राहुल ने सोशल मीडिया X में लिखा कि, “पापा, आपकी आंखों में भारत के लिए जो सपने थे, इन अनमोल यादों से छलकते हैं। आपके निशान मेरा रास्ता हैं – हर हिंदुस्तानी के संघर्षों और सपनों को समझ रहा हूं, भारत मां की आवाज़ सुन रहा हूं।”
Congress leader Rahul Gandhi on the birth anniversary of his father Rajiv Gandhi tweets, “Papa, the dreams you had for India are shown from these priceless memories. Your mark is my way – understanding the struggles and dreams of every Indian, listening to the voice of Mother… pic.twitter.com/TAzgtr9T8L
— ANI (@ANI) August 20, 2023
दरअसल राहुल अपने पिता राजीव गांधी की 79वीं जन्मतिथि (20 अगस्त) के मौके पर यहां पहुंचे हुए हैं। वे आज राजीव गांधी को पैंगोंग लेक पर अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि दी। इस दिन को कांग्रेस सद्भावना दिवस के तौर पर मनाती है। लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद राहुल पहली बार यहां पहुंचे हैं। जानकारी हो कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद साल 1984 में राजीव गांधी देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने थे। वहीं अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई बेहतरीन कार्य किए। 21 मई 1991 को लिट्टे उग्रवादियों ने उनकी जान ले ली थी। वे आज भी युवाओं द्वारा याद किए जाते हैं।