Vice Chancellor Appointments : President Ram Nath Kovind approved the appointment of Vice Chancellor in 12 universities, read the full list
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    नई दिल्ली:  राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) ने विधिक सेवा संगठनों में महिलाओं की संख्या बढ़ाने की जरूरत पर बल देते हुए शनिवार को कहा कि बतौर देश हमारा लक्ष्य ‘महिला विकास’ से ‘महिलाओं के नेतृत्व में विकास’ की दिशा में आगे बढ़ना होना चाहिए। 

    राष्ट्रीय विधिक सेवाएं प्राधिकरण (नाल्सा) के छह सप्ताह तक चलने वाले ‘अखिल भारतीय कानूनी जागरूकता एवं संपर्क अभियान’ की शुरुआत पर कोविंद ने अपने संबोधन में कहा कि विधिक सेवाएं प्राधिकरण को समाज में हाशिये पर रहने वाल तबके की मदद के लिए विशेष प्रयास करना चाहिए। 

    नाल्सा के ये संपर्क अभियान देश की आजादी के 75 वें साल में ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ समारोह के तहत आयोजित किये जा रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि जिलास्तर पर पैनल में शामिल 47,000 से अधिक वकीलों में 11,000 महिलाएं हैं तथा करीब 44,000 पराविधिक स्वयंसेवक (वकीलों के सहायक) में करीब 17,000 महिलाएं हैं।

    उन्होंने कहा कि उन्हें बताया गया है कि नाल्सा वकीलों एवं विधि स्वयंसेवकों को जोड़कर काम को और समावेशी बनने का प्रयास कर रहा है।  उन्होंने कहा, ‘‘ बतौर देश हमारा लक्ष्य महिला विकास से महिलाओं के नेतृत्व में विकास की दिशा में आगे बढ़ना होना चाहिए। इसलिए कानूनी संगठनों में महिलाओं की संख्या बढ़ाना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि महिला लाभार्थियों की अधिकाधिक संख्या तक पहुंचना। ”

    महात्मा गांधी की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि गरीबों की मदद के लिए उन्होंने (गांधी ने) नि:स्वार्थ काम किया तथा दक्षिण अफ्रीका में बंधुआ मजदूर के मुद्दों को प्रशासन एवं अदालतों के समक्ष उठाने में उनकी भरपूर मदद की वह भी बिना फीस की परवाह किए। 

    उन्होंने कहा कि वरिष्ठ वकीलों को कमजोर तबके के लोगों की नि:स्वार्थ सेवा करने के लिए अपना कुछ समय तय करना चाहिए।  केंद्रीय कानून मंत्री किरन रिजीजू ने कहा कि नाल्सा लोगों के द्वार तक न्याय पहुंचाने का अनुकरणीय कार्य कर रहा है। 

    उन्होंने कहा, ‘‘नाल्सा एवं राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरणों ने जमीनी स्तर पर कानूनी सहायता एवं सशक्तिकरण की ठोस व्यवस्था विकसित की है जिसपर हर व्यक्ति को नाज हो सकता है। नाल्सा कानूनी जागरूकता पैदाकर न्याय पहुंचाने में अनुकरणीय भूमिका निभा रहा है। ”  उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने न्याय की सुलभता तथा जीवन आसान बनाने पर ध्यान दिया है । 

    प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण ने कहा कि इस साल मई से कॉलेजियम ने उच्च न्यायालयों के लिए 106 न्यायाधीशों एवं विभिन्न उच्च न्यायालयों के लिए नौ मुख्य न्यायाधीशों की सिफारिश की है।  उन्होंने कहा, ‘‘सरकार ने कुछ को मंजूरी दे दी है और कानून मंत्री ने मुझे बताया कि बाकी पर एक-दो दिनों में मंजूरी मिलने जा रही है । मैं इन रिक्तियों को भरने में मंजूरी देने एवं इंसाफ की शीघ्र सुलभता सुनिश्चित करने को लेकर सरकार को धन्यवाद देता हूं।” स्वस्थ लोकतंत्र के लिए मजबूत न्यायपालिका आवश्यक है।

    राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संघर्ष की अगुवाई कई वकीलों ने की जिन्होंने समाज को और प्रगतिशील बनाने की भी कोशिश की तथा उन्होंने न्याय, आजादी, समानता एवं भाईचारा पर आधारित समाज की कल्पना की। ‘‘इन मूल सिद्धांतों को हमारे संविधानों में जगह दी गयी। आजादी के बाद से हमने इन संवैधानिक लक्ष्यों को साकार करने में काफी प्रगति की है लेकिन अपने इन पुरखों द्वारा चिन्हित गंतव्य तक पहुंचने के लिए अभी काफी कुछ करना बाकी है।”