BJP, Pressure Politics, Shivraj Singh Chouhan, Dr. Raman Singh, Vasundhara Raje Scindia, Narendra Modi, Amit Shah
शिवराज सिंह व वसुंधरा राजे सिंधिया (फाइल फोटो)

Loading

नवभारत डेस्क : भारतीय जनता पार्टी ने पांच राज्यों के संपन्न के विधानसभा चुनाव में तीन राज्यों में अपनी सरकार बनाने में कामयाब रही, लेकिन पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव की चुनौतियों से निपटने के लिए एक नया प्रयोग किया है। भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश के अंदर स्थापित सभी ‘कद्दावर नेताओं’ और ‘मठाधीशों’ को दरकिनार करके नए चेहरों पर दाव खेला है। मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, डॉ रमन सिंह और वसुंधरा राजे सिंधिया जैसे कद्दावर नेताओं को किनारे करते हुए नए चेहरों को आगे किया है, ताकि लोकसभा 2024 के लिए एक नया माहौल बनाया जा सके। 

इन नेताओं के दरकिनार किए जाने के बाद इनके राजनीतिक भविष्य को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। फिलहाल अगर देखा जाए तो डॉक्टर रमन सिंह को छत्तीसगढ़ विधानसभा में स्पीकर बनाकर कुछ हद तक सेट करने की कोशिश की गई है, लेकिन शिवराज सिंह चौहान और वसुंधरा राजे सिंधिया के भविष्य को लेकर राजनीतिक गलियां में तमाम तरह की चर्चाएं जारी है। यह काम पहली बार नहीं हुआ है। इसके पहले भी भाजपा ने उत्तर प्रदेश में योगी को मुख्यमंत्री बनाने के साथ-साथ उत्तराखंड में पुष्कर धामी, गुजरात में भूपेन्द्र पटेल, असम में हिमंता विस्व सरमा, कर्नाटक में बसवराज बोम्बई को सीएम की कुर्सी सौंप कर कई पूर्व मुख्यमंत्रियों को किनारे लगा चुकी है। उसमें से कुछ लोग सक्रिय राजनीति में बने हैं तो कई लोगों को अब दरकिनार कर दिया गया है।  

अब तो यूं ही निपट जाएंगे मठाधीश
आपको याद होगा कि 2018 में जब इस जगह पर चुनाव हुआ था तो तीनों राज्यों में भारतीय जनता पार्टी को करारी शिकायत मिली थी और राज्य से भारतीय जनता पार्टी की सरकार चली गई थी। हालांकि सत्ता गंवाने के बाद भी मध्य प्रदेश में हुए राजनीतिक उठापटक के बाद शिवराज सिंह चौहान 2 साल बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज होने में सफल रहे, लेकिन इसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें लंबी रेस का घोड़ा नहीं माना है। इसीलिए भारी बहुमत से दो-तिहाई विधायकों वाली विधानसभा में भी उनको विधायक दल का नेता नहीं चुना। कुछ ऐसा ही संदेश राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया को लेकर भी दिया। इन फैसलों से भाजपा ने यह संदेश दे दिया है कि भारतीय जनता पार्टी कड़े से कड़े फैसले लेने में अब पीछे नहीं रहेगी। अब पार्टी के हिसाब से नेता को चलना होगा, नेताओं के हिसाब से पार्टी नहीं चलेगी।

चुनाव के समय भारतीय जनता पार्टी अब बड़े नेताओं के द्वारा दबाव बनाए जाने की राजनीति व बयानबाजी को अनुशासनहीनता की तरह देखने लगी है। पार्टी किसी नेता के दबाव के आगे झुकने के बजाय दबाव को खारिज करके बड़े फैसले लेने लगी है। भारतीय जनता पार्टी के आलाकमान ने अपने कुछ फैसलों से यह संकेत दे दिया है कि भारतीय जनता पार्टी में दबाव की राजनीति किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी। दबाव की राजनीति करने वाले नेता तत्काल साइड लाइन कर दिया जाएंगे। भारतीय जनता पार्टी में केवल उन्हीं नेताओं को आगे किया जाएगा जो शांत स्वभाव से पार्टी के द्वारा दी गई जिम्मेदारियां को आगे बढ़ाने की कोशिश करते रहेंगे। 

BJP, Pressure Politics, Shivraj Singh Chouhan, Dr. Raman Singh, Vasundhara Raje Scindia, Narendra Modi, Amit Shah
शिवराज सिंह

..तो क्या करेंगे शिवराज सिंह चौहान 
 पिछले कुछ दिनों से चल रही राजनीतिक चर्चाओं में शिवराज सिंह चौहान ने यह साफ कर दिया है कि वह दिल्ली नहीं जाएंगे। यह संगठन में उपाध्यक्ष का पद या कोई और जिम्मेदारी लेकर कुछ और नहीं करने वाले हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के अंदर खाने में यह भी चर्चा है कि वह 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद सब कुछ ठीक रहा तो उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाए जा सकते हैं। ऐसी एक संभावना बन सकती है कि जेपी नड्डा के कार्यकाल को खत्म होने के बाद उन्हें यह जिम्मेदारी देकर संगठन में इनके राजनीतिक अनुभव का लाभ लिया जाए। अगर ऐसा वादा पार्टी की ओर से शिवराज को मिलता है तो वह नई उम्मीद के साथ कुछ दिनों तक पार्टी में एक्टिव दिखेंगे। अन्यथा अन्य नेताओं की तरह धीरे-धीरे साइडलाइन होते जाएंगे। हालांकि उस कुर्सी के लिए नरेन्द्र मोदी व अमित शाह को मनाना इतना आसान नहीं होगा। 

BJP, Pressure Politics, Shivraj Singh Chouhan, Dr. Raman Singh, Vasundhara Raje Scindia, Narendra Modi, Amit Shah
वसुंधरा राजे सिंधिया

अब क्या पाएंगी वसुंधरा 
वहीं वसुंधरा राजे सिंधिया की बात की जाए तो उनको लेकर भी तमाम तरह की चर्चाएं हैं। पहले से ही वसुंधरा राजे को राष्ट्रीय संगठन में उपाध्यक्ष बना दिया गया था और आज भी वह इस पद पर बनी हुई हैं, लेकिन वह इससे संतुष्ट नहीं हैं। ऐसा भी हो सकता है कि वह लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान वह लोकसभा का चुनाव लड़ें और केंद्र सरकार में मंत्री बनने के लिए खुद को तैयार करें। ताकि राजस्थान में रहकर वसुंधरा नई सरकार के सामने कोई नया संकट न खड़ा कर सकें।

 आपको याद होगा कि इसके पहले भी भारतीय जनता पार्टी ने कठिन निर्णय लेकर कई दिक्कत नेताओं को दरकिनार किया और नए चेहरों को जिम्मेदारी दी। 2003 में मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने उमा भारती की नेतृत्व में चुनाव लड़ा था लेकिन बहुमत से सरकार बनाने का मौका मिलने के बाद भी उमा भारती अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पायीं और उन्हें सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें सांसद व केंद्र सरकार में मंत्री का पद जरूर दिया। लेकिन अब वह भारतीय जनता पार्टी में हासिए पर ही चल रही हैं। उमा भारती के बाद दलित चेहरे के रुप में बाबूलाल गौड़ को सीएम बनाया, लेकिन वह अपनी ज्यादा दिनों तक संभाल नहीं सके। उसी के बाद शिवराज सिंह को मुख्यमंत्री के रूप में काम करने का मौका मिला तो वह लगभग 18 सालों तक राज्य की सत्ता संभालते रहे।