supreme-court

Loading

नई दिल्ली: आज से 5 साल पहले समलैंगिक संबंधों को अपराध के दायरे से बाहर कर चुका सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) अब आज यानी मंगलवार 17 अक्टूबर को समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के मुद्दे पर अपना महत्वपूर्ण फैसला सुनाएगा। गौरतलब है कि दुनिया के 34 देशों में समलैंगिक विवाह को कानूनी दायरे में पहले ही लाया जा चुका है। 

वहीं इस बाबत आज CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस रवींद्र भट, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ सुबह 10।30 बजे समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की याचिकाओं पर अपना फैसला देगी। दरअसल संविधान पीठ ने बीते 10 दिन की सुनवाई के बाद इसी साल बीते 11 मई को इस मुद्दे पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

समलैंगिक विवाह को क्या मिलेगी मंजूरी
जानकारी दें कि सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में समलैंगिक विवाह (सेम सेक्स मैरिज) को भी स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत लाकर उनका रजिस्ट्रेशन किए जाने की मांग की गई है। वहीं इस मामले को लेकर याचिकाकर्ताओं ने भी कहा कि साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने समलैंगिकता को अपराध मानने वाली आईपीसी की धारा 377 के एक हिस्से को रद्द कर दिया था। इसके चलते दो वयस्कों के बीच आपसी सहमति से बने समलैंगिक संबंध को अब अपराध नहीं माना जा सकता। ऐसे में समलैंगिक विवाह को कानूनी मंजूरी मिलनी चाहिए।

केंद्र सरकार का विरोध
इस बाबत केंद्र सरकार ने इस बात का विरोध करते हुए कहा था कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का आग्रह करने वाली याचिकाओं पर उसके द्वारा की गई कोई भी संवैधानिक घोषणा “कार्रवाई का सही तरीका” कभी नहीं हो सकती, क्योंकि अदालत इसके परिणामों का अनुमान लगाने, परिकल्पना करने, समझने और उनसे निपटने में फिलहाल सक्षम नहीं होगी।

केंद्र सरकार की यह भी दलील थी कि यह शहरी सोच है, इसकी मांग बड़े शहरों में रहने वाले कुछ अभिजात्य (Elite) लोगों की है। केंद्र का कहना था कि “समलैंगिक शादी को कानूनी दर्जा देने का असर सब पर पड़ेगा।” हालांकि इस पर CJI चंद्रचूड़ ने भी कहा था कि सरकार के पास कोई ऐसा डाटा नहीं है जो यह बताए कि सेम सेक्स मैरिज की मांग सिर्फ शहरी वर्ग तक ही सीमित है।

7 राज्यों का पुरजोर विरोध 
केंद्र सरकार ने साथ ही दलील दी थी कि समलैंगिक विवाह के मुद्दे पर 7 राज्यों से प्रतिक्रियाएं मिली हैं और राजस्थान, आंध्र प्रदेश तथा असम की सरकारों ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के याचिकाकर्ताओं के आग्रह का पुरजोर विरोध किया है।