CBI raid
फाइल फोटो

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    नई दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) के अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी दाऊद इब्राहिम कास्कर (Dawood Ibrahim) के तीन रिश्तेदारों की गवाही एक गुटखा कारोबारी तथा डी-कंपनी के दो सदस्यों को दोषी साबित कराने में एजेंसी के लिए तुरुप का पत्ता साबित हुई।

    मुंबई में विशेष न्यायाधीश बी. डी. शेल्के ने गोवा गुटखा के मालिक जे. एम. जोशी और डी-कंपनी के सदस्यों जमीरुद्दीन गुलाम रसूल अंसारी और फर्रुख मंसूरी को महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) और भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत सोमवार को दोषी ठहराया था। उन्हें संयुक्त राष्ट्र की ओर से वैश्विक आतंकवादी घोषित दाऊद को पाकिस्तान में गुटखा उत्पादन इकाई लगाने में मदद करने के लिए 10 साल कारावास की सजा सुनाई गयी। दाऊद इब्राहिम के गिरोह को डी-कंपनी भी कहा जाता है।

    गुटखा कारोबारी जोशी और रसिकलाल माणिकचंद धारीवाल का कोई आर्थिक विवाद था और उन्होंने इसके समाधान के लिए दाऊद इब्राहिम की मदद ली थी। धारीवाल मामले में सह-आरोपी थे और अब उनकी मौत हो चुकी है। दाऊद ने इसके बदले उनसे पाकिस्तान में गुटखा उत्पादन की इकाइयां लगाने में मदद ली, ताकि अपने संगठित अपराध गिरोह के लिए मुनाफे के नये स्रोत खोल सके। सीबीआई ने विस्तृत जांच के बाद इस मामले में 2005 में आरोप पत्र दायर किया था।

    जांच अधिकारी ने दाऊद इब्राहिम के तीन रिश्तेदारों से पूछताछ की थी, जिन्होंने दोषियों के तार दाऊद इब्राहिम गिरोह, डी-कंपनी की गतिविधियों तथा आर्थिक लेनदेन एवं अन्य के साथ जुड़े होने का खुलासा किया। सीबीआई ने सुनवाई के दौरान दाऊद की पत्नी महजबीन के रिश्तेदार सलीम इब्राहिम शेख से और अनीस इब्राहिम उर्फ छोटा सेठ तथा दाऊद इब्राहिम के रिश्तेदारों- सऊद यूसुफ तुंगेकर और शमीम इल्तेफात कुरैशी समेत 44 गवाहों को पेश किया था।

    अधिकारियों ने कहा कि आरोप पत्र में जिन आरोपियों के नाम हैं उनकी दोषसिद्धि के लिए इन गवाहों के बयान महत्वपूर्ण थे। शेख ने सीबीआई के जांच अधिकारी को दिये अपने बयान में बताया कि किस तरह जमीरुद्दीन गुलाम रसूल अंसारी उर्फ जंबो ने उसे अनीस इब्राहिम के निर्देश पर मशीन के कलपुर्जे कराची ले जाने के लिए मजबूर किया था। वह मजिस्ट्रेट के समक्ष सीआरपीसी की धारा 164 के तहत और बाद में सुनवाई के दौरान अपने बयान पर कायम रहा। अधिकारियों के मुताबिक वह अपनी पत्नी के एक बीमार रिश्तेदार को देखने 2004 में कराची गया था, तभी अंसारी ने उसे दो पाउच ले जाने को कहा। उन्होंने कहा कि वह इस दौरान क्लिफ्टन इलाके में दाऊद इब्राहिम के घर पर ठहरा था।

    विशेष न्यायाधीश शेल्के ने कहा, ‘‘अभियोजन पक्ष के गवाह संख्या-12 (शेख) की जिरह को देखकर पता चलता है कि अभियुक्त संख्या-एक (अंसारी) द्वारा सौंपे गए पुर्जों को ले जाने के संबंध में उसकी गवाही उसकी जिरह के दौरान भी जस की तस रही।” उन्होंने कहा कि शेख की दाऊद इब्राहिम और अनीस इब्राहिम से रिश्तेदारी है और कोई वजह नहीं है कि वह उनके खिलाफ गवाही देगा।

    न्यायाधीश ने कहा, ‘‘अभियोजन पक्ष के गवाह संख्या 12 ने जो गवाही दी है, वह आरोपी संख्या-सात (दाऊद इब्राहिम) और तीन (अनीस इब्राहिम उर्फ छोटा सेठ) की अगुवाई वाले संगठित अपराध गिरोह के सक्रिय सदस्य के रूप में आरोपी संख्या-एक (अंसारी) की संलिप्तता के संदर्भ में अभियोजन के पक्ष का समर्थन करती है।” उन्होंने कहा कि शेख का बयान अंसारी द्वारा दाऊद के सिंडिकेट के लिए और उसकी तरफ से लगातार अवैध गतिविधियां चलाने के संदर्भ में भी अभियोजन पक्ष का समर्थन करता है।

    दाऊद इब्राहिम के रिश्तेदार सऊद यूसुफ तुंगेकर ने अपनी गवाही में कहा था कि अंसारी ने उसकी दुबई की यात्रा का बंदोबस्त किया था, जहां वह 2000 से 2005 के बीच ठहरा था। दाऊद के एक और रिश्तेदार शमीम इल्तेफात कुरैशी ने मामले में चश्मदीद के रूप में गवाही दी और इस बारे में विस्तार से जानकारी दी कि किस तरह डी-कंपनी आय के नये स्रोतों के लिए पाकिस्तान में गुटखा संयंत्र लगा रही थी। अनीस इब्राहिम के बचपन के दोस्त कुरैशी ने जांचकर्ताओं को बताया कि गुटखा कारोबारी जोशी और धारीवाल के बीच विवाद था। (एजेंसी)