President Ram Nath Kovind

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    नयी दिल्ली. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने शनिवार को राजनीतिक दलों से राष्ट्रीय हित में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर यह तय करने को कहा कि लोगों के कल्याण के लिए क्या जरूरी है। संसद के सेंट्रल हॉल में अपने विदाई भाषण में सांसदों को संबोधित करते हुए कोविंद ने शांति और सद्भाव के मूल्य पर जोर देते हुए कहा कि लोगों को अपने लक्ष्यों को पाने की कोशिश करने के लिए विरोध करने और दबाव बनाने का अधिकार है, लेकिन उनके तरीके गांधीवादी होने चाहिए।

    राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद को संबोधित करते हुए कहा, भारत की जनता ने, आप सबके माध्यम से, मुझे राष्ट्रपति के रूप में चुनकर देश की सेवा करने का अवसर प्रदान किया। इसके लिए मैं देशवासियों का सदैव आभारी रहूंगा। उन्होंने कहा, राजनीतिक प्रक्रियाएं, राजनीतिक दलों के अपने तंत्रों के माध्यम से संचालित होती हैं, लेकिन पार्टियों को दलगत राजनीति से ऊपर उठना चाहिए और ‘राष्ट्र सर्वोपरि’ की भावना से यह विचार करना चाहिए कि देशवासियों के विकास और कल्याण के लिए कौन-कौन से कार्य आवश्यक हैं।

    उन्होंने कहा, हमारे नागरिकों को अपनी मांगों के लिए दबाव बनाने का तथा विरोध करने का संवैधानिक अधिकार उपलब्ध है, लेकिन मेरे विचार से, इस अधिकार का प्रयोग हमेशा गांधीवादी तौर-तरीकों के अनुरूप शांतिपूर्ण ढंग से किया जाना चाहिए।

    उन्होंने कहा, पिछले दो वर्षों की विभीषिका ने यह भी याद दिलाया है कि पूरी मानवता वास्तव में एक ही कुटुंब है और सभी का अस्तित्व आपसी सहयोग पर निर्भर करता है।

    राष्ट्रपति ने आगे कहा, कोविड का सामना करने में भारत के प्रयासों की विश्वव्यापी सराहना हुई है। सबके प्रयास से हमने केवल 18 महीने में ही 200 करोड़ वैक्सीन लगाने का लक्ष्य प्राप्त किया है। उन्होंने कहा, जलवायु परिवर्तन अब वाद-विवाद का विषय नहीं रह गया है, बल्कि इसके परिणाम हमारे जीवन को सीधे-सीधे प्रभावित करने लगे हैं। प्रकृति के प्रति सम्मान का भाव तथा मानवता की साझा नियति में विश्वास, पर्यावरण की रक्षा करने में हमारी मदद कर सकता है।

    राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, जब मैं जन-सेवक के रूप में अपने और सरकारों के प्रयासों के बारे में सोचता हूं, तो हमें यह स्वीकार करना पड़ता है कि समाज के हाशिए पर जीवन-यापन करने वाले लोगों के जीवन-स्तर को बेहतर बनाने के लिए, हालांकि बहुत कुछ किया गया है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।

    उन्होंने कहा, मैं मिट्टी से बने एक कच्चे घर में पला-बढ़ा हूं, लेकिन अब ऐसे बच्चों की संख्या बहुत कम हो गयी है जिन्हें आज भी उन कच्चे घरों में रहना पड़ता है जिनमें छत से पानी टपकता हो। आज, बड़ी तादाद में हमारे गरीब भाई-बहनों के पास भी पक्के घर हैं। अब हमारी बहुत सी बेटियों और बहनों को पीने का पानी लाने के लिए मीलों पैदल नहीं चलना पड़ता है, क्योंकि हमारा प्रयास है कि हर घर नल से जल पहुंचे। उन्होंने कहा, हमने घर-घर में टॉयलेट्स भी बनवाए हैं जो एक स्वच्छ और स्वस्थ भारत के निर्माण की नींव डाल रहे हैं। सूर्यास्त के बाद लालटेन या दिया जलाने की यादें भी पुरानी हो रही हैं क्योंकि लगभग सभी गांवों तक बिजली का उजाला पहुंच गया है।

    राष्ट्रपति ने आगे कहा, महिलाओं में सशक्तीकरण की भावना को निरंतर मजबूत होते देखकर मुझे विशेष संतोष का अनुभव होता है। यह सशक्तीकरण युवा पीढ़ी की हमारी बेटियों को और आगे बढ़ा रहा है। मेरा मानना है कि आने वाले वर्षों में महिला सशक्तीकरण से हमारा समाज और अधिक मजबूत होगा।

    कोविंद ने मुर्मू को बधाई दी और कहा कि, मैं राष्ट्रपति पद के लिए नव-निर्वाचित, द्रौपदी मुर्मु को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। सर्वोच्च संवैधानिक पद पर उनका चुनाव महिला सशक्तीकरण को बढ़ाने के साथ-साथ समाज के संघर्षशील लोगों में महत्वाकांक्षा का संचार करने वाला है। मुझे पूरा विश्वास है कि द्रौपदी मुर्मु के अनुभव, विवेक और व्यक्तिगत आदर्श से पूरे देश को प्रेरणा मिलेगी और मार्गदर्शन भी।

    उल्लेखनीय है कि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सोमवार को भारत के 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगी। वह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर काबिज होने वाली पहली आदिवासी होंगी।

    उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला राष्ट्रपति कोविंद को विदाई देने के लिए आयोजित इस समारोह में शामिल हुए।