farmer

Loading

भड़गांव/ जलगांव. इस बार ज़िले के अधिकांश हिस्सों में मानसून की बारिश और बदरा जमकर बरसे. नदी, नाले और नदियां उफान पर हैं. सभी ओर सुजलाम, सुफलाम है. वहीं भड़गांव तहसील के महिंदले इलाके में परिस्थितियां एक दम विपरीत हैं. मानसून की शुरुआत के बाद से क्षेत्र में हल्की बारिश हुई है. 

इसके बाद से वरुण देवता की कृपा दृष्टि नहीं होने के कारण किसान जोरदार बारिश के इंतजार में आसमान की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं. पर्याप्त मात्र में बारिश नहीं होने के कारण अभी तक नालें प्रवाहित नहीं हुए. जिसके चलते पाझर तालाब, केटीवेयर और कुएं अभी भी सूखे हैं. नतीजतन, खड़ी फसलों में गिरावट शुरू हो गई है. फसलों की हालत देखकर किसान व्याकुल हो गए हैं.

कुएं और तालाब में नहीं है पानी

महिंदले इलाके में मानसून ने शुरुआत से ही किसानों के साथ आंख-मिचौली कर रहा है. किसानों ने कम बारिश में ही भगवान भरोसे फसलों की बुआई कर दी. कम बारिश में मौसम के अनुकूल वातावरण, शुद्ध हवा के कारण फसलें लहराने लगीं. बरसात का मौसम समाप्त हो रहा है. अब फसलें बड़ी हो चुकी हैं. ऐसे में फसलों को जोरदार बारिश की प्रतीक्षा है.पिछले एक महीने से बारिश ने क्षेत्र को चौपट कर दिया है. क्षेत्र में वर्षा की कमी के कारण फसलों की पूर्ण वृद्धि नहीं हुई है.

किसानों के घर पर पड़े हैं उर्वरक

क्षेत्र के कई किसानों ने कुएं के पानी पर ड्रिप सिंचाई के माध्यम से ग्रीष्मकालीन कपास लगाई है और कुछ ने बारिश के पानी पर कपास, मक्का, ज्वार, बाजरा, भिंडी और दालों का रोपण किया है. अब फसलें पकने के कगार पर हैं, उन्हें भारी बारिश की जरूरत है. फसलों को पर्याप्त मात्रा में देने के लिए पानी नहीं होने के कारण किसानों के घर में उर्वरक पड़ा हुआ है. पानी की आपूर्ति नहीं होने के कारण फसलों की वृद्धि बाधित हुई है.

श्रावण में भी मौसम की बेरुखी

 श्रावण मास आधा बीतने पर भी श्रावण की वर्षा नहीं हुई.  श्रावण में आमतौर पर चारों दिशाओं में हरियाली और हर्ष उल्लास का माहौल रहता है, लेकिन इस बार वातावरण उदास है. लेकिन सूरज चमक रहा है. खड़ी फसलें किसानों की आंखों के सामने बर्बाद हो रही हैं. पानी की कमी के कारण फसलों में गिरावट आ रही है.

चिंता में डूबे किसान

फसलें मुरझाने लगी हैं. इसके चलते किसानों के माथे पर चिंता के बादल मंडराने लगे हैं. कहीं किसानों के हाथों में आने से पहले ही बर्बाद ना हो जाए, इस तरह की चिंता में तहसील का किसान डूबा है.