एकादशी व्रत देश भर में 15 अगस्त को मनाया जायेगा. इस व्रत का हिंदू धर्म में बहुत महत्त्व है. इस व्रत को व्रतों का राजा भी कहा जाता है. इस व्रत को करने से दुःख, दरिद्र, शोक, का निवारण होता है. ऐसा माना जाता है की इसको करने से पुर्नजन्म के बंधन से छुटकारा मिल जाता है. भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष एकादशी को ‘अजा’ एकादशी भी कहते हैं. हिंदू धर्म के अनुसार एकादशी व्रत करने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को दशमी के दिन से ही कुछ अनिवार्य नियमों का पालन करना चाहिए. तो आइये जानते हैं कुछ ऐसे नियम जो एकादशी व्रत करने वाले हर व्यक्ति को पता होने चाहिए.
नियम:
- एकादशी व्रत करने वाले व्यक्ति को गुस्सा नहीं करना चाहिए.
- जो भी मनुष्य एकादशी वर्त को करता है, उन्हें मांस, मदिरा, लहसुन, प्याज़, मसूर की दाल आदि वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए.
- रात को पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.
- एकादशी व्रत के दिन किसी भी लकड़ी से दातून न करें. नींबू, आम या जामुन के पत्ते चबाकर, अंगुली से कंठ साफ कर लें. एकादशी के दिन पेड़ से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है. ऐसे में खुद से गिरा हुआ पत्ता लेकर सेवन करें.
- अगर पत्ते न मिलें तो पानी से बारह बार कुल्ला भी कर सकते हैं फिर स्नानादि कर मंदिर में जाकर गीता पाठ करें.
- एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु होने का डर रहता है.
- इस दिन बाल नहीं कटवाना चाहिए.
- इस दिन हर चीज़ प्रभु को भोग लगाकर ग्रहण करना चाहिए .
- इस दिन किसी का भी दिया हुआ अन्न या कुछ भी न खाएं.
- एकादशी के दिन ज़्यादा ना बोलें. अधिक बोलने से मुँह से न बोलने वाले शब्द भी निकल जाते हैं