1 जनवरी से शुरू हुआ 2022, लेकिन भारत में हर धर्म का है अपना अलग कैलेंडर, जानें उनका नव वर्ष कब शुरू होगा

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    नई दिल्ली: आज यानी 1 जनवरी को हम सब ने 2022 में प्रवेश कर लिया है। दुनिया के ज्यादातर देश आज नए साल आने की ख़ुशी में जश्न मना रहे है। लेकिन विश्व में भारत एकमात्र ऐसा देश है, जो कई विविधताओं से भरा है। जी हां यहां हर धर्म के लोग रहते है और हर धर्म के हिसाब से वे अपना नव वर्ष मनाते है। आज पूरी दुनिया नव वर्ष मना रहे है, तो आइए आज हम सब जानते है अलग-अलग धर्म के लोग किस तरह से अपना नव वर्ष मनाते है…

    हिंदू नववर्ष

    हम सब जानते है हिन्दू धर्म को सबसे प्राचीन धर्म माना जाता है। आपको बता दें कि भारत में हिंदू नववर्ष चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है। मान्यता है कि सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी ने इसी दिन से संसार की रचना को शुरू किया था। इसे नव संवत के नाम से संबोधित किया जाता है और इसी दिन हिन्दू धर्म के लोग अपना नव वर्ष मनाते है। 

    इस्लामिक नववर्ष

    आपको बता दें इस्लामिक धर्म के लोगों का हिजरी कैलेंडर होता है। इस्लामिक या हिजरी कैलेंडर के मुताबिक मुस्लिम धर्म के लोग मोहर्रम महीने की पहली तारीख को अपना नया साल मनाते हैं। दुनियाभर के मुस्लिम अपने त्योहार की तारीखों और सटीक समय के लिए ज्यादातर इसी कैलेंडर का इस्तेमाल करते हैं। वहीं 19 अगस्त को नवरोज पर्व के तौर पर पारसी लोग अपना नया साल सेलिब्रेट करते हैं। करीब 3000 साल पहले इसकी शुरुआत की गई थी। 

    सिख नववर्ष

    भारत में एक बहुत बड़ा धर्म है वो है सिख धर्म। आपको बता दें कि इनका कैलेंडर भी अलग होता है। दरअसल सिख नानकशाही कैलेंडर के अनुसार 14 मार्च को होला मोहल्ला नया साल होता है। इसे वैशाखी पर्व के रूप में मनाया जाता है। वहीं सिंधी लोगों का नया साल चैत्र माह की द्वितीया तिथि को चेटीचंड उत्सव के तौर पर मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान झूलेलाल का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन वे अपना नया साल मनाते है। 

    जैन नववर्ष

    भारत के बाकी धर्मों के जैसे जैन धर्म का भी अपना एक अलग नया वर्ष होता है। जी हां आपको बता दें कि जैन धर्म में नए साल को निर्वाण संवत कहते हैं। ये दीपावली के दूसरे दिन मनाया जाता ह। मान्यता है कि इससे एक दिन पहले ही महावीर स्वामी को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। इसलिए इस दिन वे अपना नया साल मनाते है। 

    ईसाई नववर्ष

    आपको बता दें कि आज यानी 1 जनवरी को नया साल मनाने की परंपरा ग्रिगोरियन कैलेंडर आने के बाद शुरू हुई थी। दरअसल ये ईसाइयों का कैलेंडर है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ग्रिगोरियन कैलेंडर से पहले रूस का जूलियन कैलेंडर प्रचलित था जिसमें सिर्फ 10 माह का एक साल होता था।

    इस 15 अक्टूबर 1582 में अमेरिका के नेपल्स के फिजीशियन एलॉयसिस लिलिअस ने नया कैलेंडर लेकर आए जिसमें साल की शुरुआत 1 जनवरी से थी। धीरे धीरे ये कैलेंडर दुनियाभर में प्रचलित हो गया और ज्यादातर जगहों पर 1 जनवरी को नया साल मनाया जाने लगा। तब से लेकर आज तक दुनिया के ज्यादातर देशों में 1 जनवरी से ही नए साल की शुरुआत होती है।