Photo: NIDCD
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    सीमा कुमारी

    हर साल 03 मार्च को ‘वर्ल्ड हियरिंग डे’ (World Hearing Day) मनाया जाता है। इस दिन पूरी दुनिया में बहरेपन आदि समस्याओं से बचने के लिए लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से यह दिवस मनाया जाता है।

    ‘विश्व श्रवण दिवस’ (World Hearing Day) पहली बार साल 2007 में ‘अंतरराष्ट्रीय कान देखभाल दिवस’ द्वारा विश्वभर में मनाया गया था। ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ (WHO) द्वारा अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर विशेष विषय से संबंधित घटनाओं की कई किस्में बनाई गई है।

    सुनने की क्षमता में कमी या बहरापन एक ऐसी स्थिति है, जहाँ व्यक्ति अपनी श्रवण-क्षमता अर्थात सुनने की क्षमता खो देता है। यह बीमारी अनुवांशिक कारणों (Hereditary), जन्म के समय जटिलताओं, कुछ संक्रामक रोगों, कान में लंबे वक्त तक संक्रमण, ऑटोटॉक्सिक दवाओं के उपयोग और अत्यधिक शोर और उम्र बढ़ने से भी होता है।

    विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व की 5 प्रतिशत आबादी में सुनने की समस्या का आंशिक या पूर्ण रूप से नुकसान है। 65 वर्ष से ऊपर की आयु वर्ग के लोग इस बीमारी से पीड़ित है। रिपोर्ट की मानें तो इस बीमारी में से ज्यादातर दक्षिण एशिया, एशिया प्रशांत और उप-सहारा अफ्रीका क्षेत्रों में है।

    सुनने की क्षमता में कमी के मुख्य कारण उम्र बढ़ना, जोरदार शोर होना, आनुवंशिकता, हानिकारक या अन्य बिमारियों में दी जाने वाली दवा, शराब या तंबाकू, कान का संक्रमण, चोट लगना, उच्च रक्तचाप या मधुमेह, शराब पीना या धूम्रपान करना है।  

    देश में सुनने से लाचार नौजवानों की बहुत बड़ी आबादी है जिससे उनकी शारीरिक और आर्थिक सेहत पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है। डॉक्टरों के अनुसार, समय से रोग की पहचान और बहरेपन का इलाज बहुत ही जरूरी है। अपने जीवन के प्रारंभिक चरण में मिली उचित सहायता से बच्चा अपनी कमी से उबरकर तेजी से बोलना और बातचीत करना सीख सकता है। इससे उसे समाज की मुख्य धारा का अंग बनने का भी मौका मिलता है।