इस दिन मनाई जाएगी ‘बैसाखी’, जानिए क्यों मनाई जाती है बैसाखी

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सीमा कुमारी

नई दिल्ली: सुख और समृद्धि का प्रतीक ‘बैसाखी’ (Baisakhi 2023) का महापर्व इस बार 14 अप्रैल 2023 को मनाया जाएगा। ‘बैसाखी’, सिख समुदाय का मुख्य त्योहार है। यह महापर्व हर साल वैशाख महीने में पड़ने वाली मेष संक्रांति के दिन मनाया जाता है। बैसाखी के दिन सूर्य देव मेष राशि में प्रवेश करते हैं। इसलिए इसे मेष संक्रांति भी कहा जाता है। इस पर्व से कई मान्यताएं और परंपराएं जुड़ी हुई हैं। सिख समुदाय के लोग इस दिन को नव वर्ष के रूप में मनाते हैं। 

ये पर्व खासतौर पर पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में बहुत ही धूमधाम एवं हर्षोल्लास से मनाया जाता है। दरअसल, वैशाख महीने तक रबी की फसलें पक जाती हैं और उनकी कटाई शुरू हो जाती है। ऐसे में इस दिन फसल को काटकर घर आ जाने की खुशी में लोग ईश्वर को धन्यवाद देते हैं और अनाज की पूजा करते हैं। शाम को लोग इकठ्ठा होकर गिद्दा और भांगड़ा करते हैं। ऐसे में आइए जानें बैसाखी कब और कैसे मनाई जाती है।

तिथि

बैसाखी का त्योहार 14 अप्रैल 2023 को मनाया जाएगा। पंजाब के लोगों, विशेषकर सिखों के लिये, वैसाखी एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। वैसाखी को हिन्दू सौर कैलेंडर पर आधारित, सिख नव वर्ष के रूप में भी मनाया जाता है।

बैसाखी क्यों मनाते हैं

वैसे इस त्योहार को देशभर में मनाया जाता है, लेकिन पंजाब, दिल्ली और हरियाणा में इसे मनाने को लेकर खास उत्साह रहता है। मुख्य तौर पर सिख समुदाय के लोग बैसाखी को नए साल के रूप में मनाते हैं। इस पर्व को मनाने के पीछे की एक वजह ये भी है कि 13 अप्रैल 1699 को सिख पंथ के 10वें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी।

बैसाखी के पर्व की तैयारियां पहले से ही शुरू हो जाती हैं। इस दिन लोग सुबह जल्दी जाग कर घरों की साफ-सफाई करते हैं। रुद्वारों को सजाया जाता है। त्योहार के दिन घर में कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं।  गुरुद्वारे में गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ होता है। इस दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन लोग गुरु वाणी सुनते हैं। श्रद्धालुओं के लिए खीर, शरबत आदि बनाई जाती है। बैसाखी के दिन किसान अच्छी फसल के लिए ईश्वर का धन्यवाद करते हैं और अपनी समृद्धि की प्रार्थना करते हैं।