षटतिला एकादशी
षटतिला एकादशी

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    सीमा कुमारी

    नई दिल्ली: सनातन धर्म में एकादशी तिथि को सबसे पवित्र और फलदाई माना जाता है। हर साल माघ मास के कृष्ण पक्ष की ‘एकादशी तिथि’ को ‘षटतिला एकादशी’ (Shattila Ekadashi) मनाई जाती है। इस साल  2023 यह एकादशी 18 जनवरी, बुधवार को मनाई जाएगी। साल में ये वह खास दिन है जिसमें तिल का खास उपयोग किया जाता है। पद्म पुराण के अनुसार, ‘षटतिला एकादशी’ अर्थात 6 तिल वाली एकादशी। इस एकादशी में व्रती को 6 प्रकार से तिल का प्रयोग करके भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। आइए जानें षटतिला एकादशी पर तिल से कौन से 6 काम किए जाते हैं।  

    ज्योतिष और वास्तु-शास्त्र में तिल के दान का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, तिल का दान करने से पापों से छुटकारा मिलता है। साथ ही व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। ऐसे में आप एकादशी के शुभ अवसर पर किसी गरीब, बेसहारा या पंडित को तिल का दान अवश्य करें। कहा जाता है कि, ‘षटतिला एकादशी’ पर तिल को कूटकर इसका उबटन शरीर पर लगाने से सुंदरता में निखार आता है। और त्वचा संबंधी रोग भी दूर हो जाते है।

    ‘षटतिला एकादशी’ पर भगवान विष्णु को तिल से बना भोग लगाना बहुत शुभ माना जाता है।   इससे आर्थिक समस्याएं में कमी आती है। इसके अलावा, इस दिन तिल से बने मिष्ठान या भोजन में तिल का अधिक प्रयोग करने पर शरीर ऊर्जावान रहता है। और ठंड से भी राहत मिलती  है।

    इस दिन तिल वाले पानी का सेवन करना भी बेहद शुभ माना जाता है। इसके लिए आप एक बर्तन में तिल का पानी बनाकर पूरा दिन इसका सेवन करते रहे। इसका सेवन करने से शरीर बीमारियों से सुरक्षित रहता है। इसके साथ ही इस दिन दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों को तिलों का तर्पण करने से पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है। इससे घर-परिवार में सुख-समृद्धि, शांति व खुशहाली का वास होता है।

    ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, इस दिन 5 मुट्ठी तिल से हवन करें। इसके लिए तिल को गाय के घी में मिलाएं। फिर भगवान श्रीहरि का ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ मंत्र का जप करते हुए हवन करें। कनकधारा स्तोत्र या श्री सूक्त का जप करते हुए भी हवन करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इसे भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की विशेष कृपा मिलती है। ऐसे में घर में अन्न व धन की बरकत बनी रहती है।

    एकादशी के दिन तिल मिश्रित जल से स्नान करना शुभ माना जाता है। इसके लिए पानी में तिल मिलाकर ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ मंत्र का जप करते हुए नहाएं। इसके बाद पीले रंग के कपड़े पहनकर व्रत रखने का संकल्प करें।आप बिना व्रत रखें भी इस उपाय को कर सकते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही मोक्ष के द्वार खुलते हैं।