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होला मोहल्ला का त्योहार (सोशल मीडिया)

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नवभारत लाइफस्टाइल डेस्क: जैसा कि, होली का त्योहार (Holi 2024) आने वाले दिन 25 मार्च को मनाया जाएगा वहीं पर इस दिन को लेकर लोगों में अलग ही उत्साह देखने के लिए मिलता है। होली की तरह ही सिख समुदाय (Sikh Community) का एक महत्वपूर्ण त्योहार होला मोहल्ला (Hola Mohalla) फेमस है जिसमें त्योहार को तीन दिनों तक मनाया जाता है। इस दिवस को सिख समुदाय बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते है।

जानिए कब से हुई इस त्योहार की शुरुआत

यह त्योहार होला मोहल्ला मनाने की शुरुआत सिख समुदाय के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने 17वीं शताब्दी में की थी। यह त्योहार तीन दिनों तक सिखों के पवित्र स्थल तख्त श्री केसरगढ़ साहिब, आनंदपुर में मनाया जाता है। इस त्योहार की शुरुआत 25 मार्च से होती है जो 27 मार्च तक सेलिब्रेट किया जाता है। इस दिवस को मनाने के पीछे सिख समुदाय के गुरु गोबिंद सिंह जी का मकसद था कि एक ऐसे समुदाय का निर्माण हो, जो न केवल काबिल योद्धा हो बल्कि, उनमें आत्म-अनुशासन और अध्यात्मिकता में भी कुशल हो। इस त्योहार का उद्देश्य एकता, बंधुत्व, वीरता और पारस्परिक प्रेम फैलाना है। इस दिवस को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

जानिए कैसे मनाया जाता है यह दिवस

पहले दिन – होला मोहल्ला त्योहार के पहले दिन सभी सिख समुदाय द्वारा गुरुद्वारों में प्रार्थना के साथ की जाती है इसके बाद नगर कीर्तन जुलूस निकाला जाता है ये नजारा बेहद ही भव्य नजर आता है। यहां भव्य नजारे को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। इसमें कई तरह की धार्मिक और सांस्कृतिक प्रदर्शन शामिल किए जाते हैं।

दूसरे दिन – त्योहार के दूसरे दिन सिख पारंपरिक मार्शल आर्ट गतका प्रदर्शित किया जाता है। इसमें नकली युद्ध प्रदर्शित किया जाता है, जिसमें दो गुट बंटते हैं और वे अपनी युद्ध कला का अनोखा परिचय देते हैं। इसके अलावा इस दिन कई प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है जिसमें घुड़सवारी, कुश्ती, तीरंदाजी शामिल है। यह प्रतियोगिताएं इतनी मनोरंजक होती है कि, इसे देखने के लि दुनियाभर से लोग आते है।

तीसरे दिन- इस त्योहार होला के तीसरे दिन महान सिख वीरों को याद किया जाता है और श्रद्धांजलि दी जाती है। इस दिन निस्वार्थ भाव से की जाने वाली सेवा का अनोखा दृश्य देखने को मिलता है। इस त्योहार के अंत में लंगर का आयोजन किया जाता है, जिसमें हर जाति, धर्म या समुदाय के लोगों को मुफ्त में भरपेट भोजन करवाया जाता है। इस लंगर के जरिए सिख समुदाय एकता और सौहार्द की भावना को प्रकट करता है।