(Image-Social Media)
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    सीमा कुमारी

    नई दिल्ली: कान्हा का जन्मोत्सव यानी ‘जन्माष्टमी’ (Janmashtami) आने में कुछ ही दिन बच गए हैं। जन्माष्टमी के त्योहार को लेकर हर साल की तरह इस साल भी भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों में भरपूर जोश और उमंग देखा जा रहा है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव इस साल 18, 19 अगस्त को है। ऐसे में चारों ओर भगवान कृष्ण की चर्चाएं हो रही हैं। शास्त्रों में बाल गोपाल की पूजा के कुछ नियम बताए गए हैं। इनका पालन करने पर ही बांके बिहारी की पूजा का पूरा फल मिलता है। आइए जानें उन नियमों के बारे में-

    बाल गोपाल को एक बच्चे की तरह ही रखना होता है। जिस तरह आप रोज स्नान करते हैं, उसी तरह आपको नियमित रूप से लड्डू गोपाल को भी स्नान करना होगा। लेकिन स्नान कराते समय इन नियमों का ध्यान रखना चाहिए। लड्डू गोपाल को स्नान कराने के लिए दूध, दही, शहद, गंगाजल, घी का इस्तेमाल करना चाहिए। शंख में दूध, दही, गंगाजल और घी डालकर स्नान कराना चाहिए।

    शास्त्रों के अनुसार, स्नान के बाद कान्हा को साफ वस्त्र पहनाएं। ध्यान रखें कि श्रीकृष्ण को एक बार जो कपड़े पहना चुके हैं उन्हें दोबारा बिना धोए उपयोग में न लें। चंदन, आभूषण, से उनका श्रृंगार करें। श्रृंगार के बिना श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी मानी जाती है।

    लड्डू गोपाल या बाल गोपाल को को नियमित रूप से चार बार भोग लगाना चाहिए। भगवान श्री कृष्ण को सात्विक भोजन ही कराएं। आप रसोई में जो भी सात्विक भोजन पकाएं, उसका भोग लड्डू गोपाल को जरूर लगाएं। वैसे आप माखन-मिश्री, बूंदी के लड्डू, खीर और हलवे का प्रसाद भी चढ़ा सकते हैं। आपको बता दें कि श्री कृष्ण को खीर अति प्रिय है।

     

    बाल गोपाल की नियमित रूप से आरती भी जरूर करें। बाल गोपाल को बेले के फूल और केला अति प्रिय हैं आरती करते वक्त आप लड्डू गोपाल को यह चीजें जरूर अर्पित करें। दिन में चार बार लड्डू गोपाल की आरती करना अनिवार्य है। एक बार घर में कान्हा को स्थापित करने के बाद उन्हें कभी अकेला न छोड़े। लंबे समय के लिए कहीं बाहर जा रहे हों तो श्रीकृष्ण को भी साथ ले जाएं। प्राण प्रतिष्ठा के बाद कान्हा की रोजाना पूजा करना बहुत जरूरी है।

    बाल गोपाल को स्नान के बाद एक शिशु की तरह तैयार करना चाहिए। उनके नियमित रूप से वस्त्र बदलने चाहिए। यदि आप ऐसा न कर सकें तो पुराने वस्त्रों को धोकर पहनाएं और इसके बाद चंदन का टीका लगाएं।