आज है कालाष्टमी, रात में करें महादेव शिव के ‘इस’ स्वरूप की पूजा, कष्टों से मिल जाएगी मुक्ति

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सीमा कुमारी

नवभारत डिजिटल टीम: हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को ‘कालाष्टमी’ (Kalashtami 2023) मनाई जाती है। इस बार कार्तिक महीने की कालाष्टमी आज याने  5 नवंबर रविवार को है। इस दिन काशी के कोतवाल कहे जाने वाले और भगवान शिव के रौद्र स्वरूप काल भैरव देव की पूजा की जाती है।

साथ ही विशेष कार्य में सिद्धि प्राप्ति हेतु साधक व्रत भी रखते हैं। तंत्र-मंत्र सीखने वाले साधक कालाष्टमी पर निशा काल में विशेष अनुष्ठान करते हैं। इस शुभ अवसर पर साधक कठिन भक्ति कर काल भैरव देव की पूजा करते हैं। काल भैरव देव की पूजा निशा काल में की जाती है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से साधक को मृत्यु लोक में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। आइए जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसकी महिमा

शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी 5 नवंबर को देर रात 12 बजकर 59 मिनट से शुरू हो चुकी है और अगले दिन यानी 6 नवंबर को देर रात 3 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी। साधक 5 नवंबर के दिन काल भैरव देव की पूजा दिन में किसी समय कर सकते हैं।

पूजा विधि

कार्तिक कालाष्टमी तिथि पर ब्रह्म बेला में उठें। इसके बाद घर की साफ-सफाई करें। दैनिक कार्यों से निवृत होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इस समय आचमन कर व्रत संकल्प लें। चूंकि, काल भैरव देव की पूजा निशा काल में की जाती है। अतः रात्रि के समय में भी पूजा अवश्य करें। वहीं, दिन के समय में भी महाकाल की पूजा करें। इस समय पंचोपचार कर फल, फूल, बिल्व पत्र, धतूरा, फल, फूल, धूप-दीप, दूध, दही आदि से काल भैरव देव की पूजा करें। पूजा के दौरान शिव चालीसा , भैरव कवच का पाठ और मंत्र का जाप अवश्य करें। पूजा के अंत में आरती-अर्चना कर सुख, समृद्धि और धन प्राप्ति की कामना करें। दिन भर उपवास रखें। निशा काल में स्नान ध्यान कर पुनः विधि विधान से पूजा एवं आरती करें। इसके बाद फलाहार करें।

महिमा

हिन्दू धर्म में ‘कालाष्टमी’ व्रत का बड़ा महत्व हैं। काल भैरव की उत्पत्ति भगवान शिव के क्रोध के परिणाम स्वरुप हुई थी। जो ब्रह्मदेव का काल बनकर आए थे। कहते हैं कि, काल भैरव भगवान तंत्र-मंत्र के देवता होते हैं। इनकी पूजा करने से नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं और तंत्र-मंत्र का भी असर नहीं होता हैं।  तांत्रिक दुर्लभ सिद्धियां पाने के लिए काल भैरव की खास पूजा करते हैं लेकिन गृहस्थ जीवन वालों को कालाष्टमी के दिन सामान्य तौर पर बाबा काल भैरव की पूजा करनी चाहिए। बाबा बटुक भैरव की उपासना करें। मान्यता है इससे अकला मृत्यु का भय दूर होगा और जीवन में कभी संकट के बादल नहीं आएंगे।