आज है अक्टूबर का पहला ‘प्रदोष’, ‘इस’ मुहूर्त में करें भगवान शिव की पूजा, जानिए इस विशेष दिन महादेव की पूजा की महिमा

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सीमा कुमारी

नवभारत डिजिटल टीम: देवों के देव महादेव को समर्पित ‘प्रदोष व्रत’ (Pradosh Vrat) हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। इस बार अक्टूबर महीने का पहला ‘प्रदोष व्रत’ आज यानी 11 अक्टूबर, बुधवार को है। आज बुधवार के दिन पड़ने के चलते इसे ‘बुध प्रदोष व्रत’ (Budh Pradosh Vrat) भी कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बुधवार के दिन को भगवान गणेश का दिन भी कहा जा सकता है जिसके चलते इस दिन भगवान गणेश की पूजा भी की जा सकती है। वहीं,प्रदोष व्रत में भोलेनाथ के साथ-साथ माता पार्वती की भी पूजा होती है। आइए जानें ‘प्रदोष व्रत’ का शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि और इसकी महिमा

शुभ मुहूर्त

कृष्ण पक्ष प्रदोष व्रत

बुधवार, 11 अक्टूबर 2023

प्रदोष व्रत प्रारंभ: 11 अक्टूबर 2023 शाम 5:37 बजे

प्रदोष व्रत समाप्त: 12 अक्टूबर 2023 को शाम 7:54 बजे

पूजा-विधि

प्रदोष व्रत की पूजा करने के लिए सुबह के समय स्नान पश्चात व्रत का संकल्प लिया जाता है। इसके बाद शिव मंदिर जाकर या  घर के मंदिर में ही पूजा की जाती है। पूजा के लिए गंगाजल, दूध, बेलपत्र, चंदन और अक्षत आदि शिवलिंग पर अर्पित किए जाते है। इस व्रत में शिवजी के मंत्रों का जाप किया जाता है। इस दिन भगवान शिव की आरती और कथा आदि सुने व गाए जाते हैं।

महिमा

सनातन धर्म में अश्विन माह में पड़ने वाले प्रदोष व्रत का बड़ा महत्व होता है। अश्विन माह मां दुर्गा को समर्पित है।ऐसे में इस माह में प्रदोष व्रत करने से भोलेनाथ के साथ-साथ मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। वहीं बुध प्रदोष व्रत में भगवान शंकर के साथ बुद्धि एवं शुभता के देवता भगवान गणेश जी की पूजा करना भी बेहद शुभ माना जाता है।

ज्योतिष- शास्त्र के अनुसार, बुधवार के दिन प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति की हर कामना की सिद्ध होती है। प्रदोष व्रत व्यक्ति को निर्जला रखना चाहिए। शिव जी की विधिवत पूजा करने से व्यक्ति को पुण्य प्राप्त होता है। व्यक्ति सभी दोषों से मुक्त हो जाता है और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। पुराणों में कहा गया है कि दो गाय के दान के बराबर का पुण्य एक प्रदोष व्रत करने से मिलता है।