Holashtak
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    -सीमा कुमारी

    बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक ‘होलिका दहन’ (Holika dahan) इस साल 17 मार्च, गुरुवार के दिन मनाया जाएगा। हर साल फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन किया जाता है।

    वहीं, 10 मार्च से ‘होलाष्टक’शुरू हो गया है जिसके साथ ही अगले 8 दिनों तक कोई भी मांगलिक काम नहीं होगा। इन दिनों में भगवान शिव और श्री हरि की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। वहीं 18 मार्च को रंगों से होली खेली जाएगी।

    पंचांग के अनुसार, हर साल होलिका दहन भद्रा रहित की जाती है। ऐसे में इस बार भद्रा (Bhadra Kaal) का साया है जिसके कारण इस साल होलिका दहन मध्य रात्रि को किया जाएगा। आइए जानें किस दिन मनाई जाएगी होली और क्या है होलिका दहन के शुभ मुहर्त…

    शुभ मुहूर्त

    पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- 17 मार्च दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से

    पूर्णिमा तिथि समाप्त- 18 मार्च दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक

    होलिका दहन मुहूर्त

    17 मार्च शाम 06 बजकर 32 मिनट से रात 08 बजकर 57 मिनट तक

    भद्रा मुख

    17 मार्च रात 1 बजकर 20 मिनट से 18 मार्च सुबह 12 बजकर 57 मिनट तक

    भद्रा पुंछ

    17 मार्च रात 09 बजकर 04 मिनट से 10 बजकर 14 मिनट तक

    शास्त्रों के अनुसार, ‘भद्राकाल’को अशुभ माना जाता है। क्योंकि, ‘भद्रा’ के स्वामी यमराज होते हैं। इसलिए इस योग में कोई भी शुभ काम करने की मनाही होती है। लेकिन ‘भद्रा’ की पुंछ काल में ‘होलिका दहन’ किया जा सकता है। क्योंकि, इस समय भद्रा का प्रभाव काफी कम होता है और व्यक्ति को दोष भी नहीं लगता है।

    पौराणिक कथाओं के अनुसार, ‘भद्रा’ भगवान सूर्य की पुत्री और शनिदेव की बहन है। ऐसे में उनका स्वभाव बिल्कुल शनिदेव की तरह ही है। इन्हें कोध्री स्वभाव का माना जाता है। इसी कारण इस स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए भगवान ब्रह्मा ने काल गणना में एक प्रमुख अंग में विष्टि करण को जगह दी है। कहा जाता है कि ‘भद्रा’ हर समय तीनों लोक का भ्रमण करती रहती हैं। इसलिए जब पृथ्वी में ‘भद्रा’ होती है, तो उस समय किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है।