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    -सीमा कुमारी

    इस वर्ष भाद्रपद मास की ‘गणेश चतुर्थी'(Ganesh Chaturthi) 31 अगस्त, बुधवार को है। इस दिन बुधवार पड़ने के कारण इसका महत्व और भी अधिक बढ़ गया है।

    शास्त्रों के अनुसार, ‘गणेश चतुर्थी’ (Ganesh Chaturthi) का व्रत हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। लेकिन, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी बहुत ही खास मानी जाती है। दरअसल महाराष्ट्र की गणपति पूजा इसी गणेश चतुर्थी से शुरू होती है। और इस दिन से 10 दीवसीय गणेश उत्सव की शुरुआत होती है। आइए जानें गणेश चतुर्थी डेट, पूजा- विधि, शुभ मुहूर्त, सामग्री की लिस्ट और मंत्र –

    शुभ मुहूर्त

    भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि आरंभ – 30 अगस्त, दोपहर 3 बजकर 34 मिनट से

    भाद्रपद के शुक्ल की चतुर्थी तिथि का समापन – 31 अगस्त, दोपहर 3 बजकर 23 मिनट पर

    मध्याह्न गणेश पूजा का समय – सुबह 11 बजकर 12 मिनट से दोपहर 1 बजकर 42 मिनट तक

    चंद्र दर्शन से बचने का समय- सुबह 9 बजकर 29 मिनट से रात 9 बजकर 21 मिनट तक

    पूजा-विधि

    इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।

    स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

    इस दिन गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना की जाती है।

    गणपित भगवान का गंगा जल से अभिषेक करें।

    गणपति की प्रतिमा की स्थापना करें।

    संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।

    भगवान गणेश को पुष्प अर्पित करें।

    भगवान गणेश को दूर्वा घास भी अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दूर्वा घास चढ़ाने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं।

    भगवान गणेश को सिंदूर लगाएं। भगवान गणेश का ध्यान करें।

    गणेश जी को भोग भी लगाएं। 

    आप गणेश जी को मोदक या लड्डूओं का भोग भी लगा सकते हैं।

    भगवान गणेश की आरती जरूर करें।

    महिमा

    भाद्रपद ‘गणेश चतुर्थी’ का उत्सव मुख्य रूप से महाराष्ट्र में 10 दिनों तक मनाया जाता हैं। हालांकि अब इस उत्सव का विस्तार अन्य प्रदेशों तक भी हो चुका  हैं।   देश की राजधानी समेत भारत के अन्य हिस्सों में भी गणेश उत्सव धूमधाम के मनाया जाता हैं। पंचांग के अनुसार, गणेश चतुर्थी हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती हैं। इस दिन सभी बप्पा को अपने घर लाते हैं और फिर उनकी प्रतिमा का विसर्जन अनंत चतुर्दशी के दिन किया जाता है।