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    सीमा कुमारी

    नई दिल्ली: इस वर्ष  वैशाख महीने की ‘कालाष्टमी व्रत’ 23 अप्रैल, शनिवार के दिन है। यह व्रत हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मनाया जाता है। ये व्रत भगवान शिव के रुद्रवतार ‘काल भैरव’ को समर्पित है। भगवान भैरव भोलेशंकर के ही अवतार हैं। कालाष्टमी को भैरवाष्टमी के नाम से भी मनाया जाता है। इस दिन विधि- विधान से भगवान भैरव की पूजा- अर्चना की जाती है। भगवान भैरव की कृपा से सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिल सकती है। आइए जानें वैशाख माह में कालाष्टमी व्रत की डेट, पूजा- विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त

    मुहूर्त

    वैशाख, कृष्ण अष्टमी प्रारम्भ – 06:27 ए एम, अप्रैल 23

    वैशाख, कृष्ण अष्टमी समाप्त – 04:29 ए एम, अप्रैल 24

    पूजन-विधि

    ‘कालाष्टमी’ के दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ-सफाई करें।  स्नान आदि से निविर्त होने के बाद व्रत का संकल्प लें और पवित्र जल से आमचन करे। अब पहले सूर्य देव को जल अर्पित करने के बाद भगवान शिव की पूजा करें। इस दिन भगवान शिव जी के स्वरूप काल भैरव देव की पूजा पंचामृत, दूध, दही, बिल्व पत्र, धतूरा, फल, फूल, धूप-दीप आदि से करें। अंत में भगवान शिव की आरती करते हुए अपनी मनोकामनाएं प्रभु के सम्मुख रखें. दिनभर उपवास रखें। शाम को आरती के बाद फलाहार करें। अगले दिन सुबह स्नान-पूजा पाठ के बाद ही व्रत खोलें।

    महत्व

    इस पावन दिन भगवान भैरव की पूजा करने से सभी तरह के भय से मुक्ति मिल जाती है। कालाष्टमी के दिन व्रत करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। भैरव बाबा की कृपा से शत्रुओं से छुटकारा मिल जाता है।