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सीमा कुमारी

नई दिल्ली: हिंदू श्रद्धालुओं के लिए ‘कृष्ण जन्माष्टमी’ का त्योहार बहुत महत्व रखता है। यह महापर्व हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस वर्ष ‘श्रीकृष्ण जन्माष्टमी’ (Krishna Janmashtami) का पावन पर्व 6 सितंबर बुधवार को है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का 5250 वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा। भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के शुभ अवसर पर देशभर में धूमधाम से जन्माष्टमी मनाई जाती है।

मान्यता है कि, जन्माष्टमी का व्रत रखने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और संतान सुख की प्राप्ति होती है। इस वर्ष सावन में अधिक मास के कारण जन्माष्टमी की तारीख को लेकर लोगों के बीच भ्रम की स्थिति बन गई है। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद के कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। धर्मशास्त्र के विद्वानों के अनुसार, इस वर्ष भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 6 सितंबर को दोपहर से शुरू होकर 7 सितंबर शाम तक रहेगी। इसलिए गृहस्थ लोग 6 सितंबर को व्रत रखेंगे और मध्य रात्रि में बाल गोपाल प्रकट होंगे। आइए जानें वर्ष 2023 में कब मनाई जाएगी कृष्ण जन्माष्टमी, शुभ मुहूर्त और महत्व?

तिथि

पंचांग के अनुसार, इस वर्ष गृहस्थ 6 सितंबर बुधवार और वैष्णव 7 सितंबर गुरुवार को जन्माष्टमी मनाएंगे। अष्टमी तिथि 6 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 37 मिनट से शुरू होकर 7 सितंबर को शाम 4 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी। रोहिणी नक्षत्र 6 सितंबर को सुबह 9 बजकर 20 मिनट से शुरू होकर 7 सितंबर के सुबह 10 बजकर 25 मिनट तक है।

शुभ मुहूर्त

बाल गोपाल के प्रकट होने के दिन पूजा का मुहूर्त 6 सितंबर को रात 11 बजकर 57 मिनट से 7 सितंबर को 12 बजकर 42 मिनट तक है। व्रत का पारण 7 सितंबर को किया जाएगा। इसके लिए शुभ समय 4 बजकर 14 मिनट के बाद शुरू हो रहा है।

धार्मिक महत्व

शास्त्रों के अनुसार, ‘कृष्ण जन्माष्टमी’ के दिन भगवान श्री कृष्ण की विधिवत पूजा करने से और व्रत का पालन करने से साधक को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही, मध्य रात्रि में श्रीकृष्ण का भजन-कीर्तन करने से जीवन में आ रहे सभी संकट दूर हो जाते हैं। इस विशेष दिन पर मंदिरों को सुंदर ढंग से सजाया जाता है। वहीं, कई जगहों पर दही हांडी का भी आयोजन किया जाता है।