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    -सीमा कुमारी

    चंपा षष्ठी’ (Champa Shashti) का व्रत हर साल अगहन माह या मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को रखा जाता है। इस साल यह व्रत आज यानी 29 नवंबर मंगलवार को रखा जा रहा है। यह व्रत मुख्यत: महाराष्ट्र और कर्नाटक में रखा जाता है। ‘चंपा षष्ठी’ व्रत भगवान शिव एवं माता पार्वती के बड़े पुत्र भगवान कार्तिकेय को समर्पित है।

    इस दिन भगवान शिव और उनके बड़े पुत्र भगवान कार्तिकेय की पूजा करने का विधान है। इस दिन व्रत और पूजा करने से पाप मिटते हैं, कष्ट दूर होते हैं, संकटों का नाश होता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आइए जानें ‘चंपा षष्ठी’ की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में-

    तिथि

    पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का प्रारंभ 28 नवंबर दिन सोमवार को दोपहर 1 बजकर 35 मिनट से हो रहा है। यह तिथि अगले दिन 29 नवंबर मंगलवार को सुबह 11 बजकर 4 मिनट पर समाप्त हो रही है। उदयातिथि के अनुसार, चंपा षष्ठी का व्रत 29 नवंबर मंगलवार को रखा जाएगा।

    रवि और द्विपुष्कर योग में चंपा षष्ठी

    इस साल चंपा षष्ठी के दिन रवि योग और द्विपुष्कर योग बना हुआ है। इस दिन ध्रुव योग सुबह से लेकर दोपहर 2 बजकर 53 मिनट तक है। रवि योग सुबह 6 बजकर 55 मिनट से सुबह 8 बजकर 38 मिनट तक है, वहीं द्विपुष्कर योग सुबह 11 बजकर 04 मिनट से अगले दिन 30 नवंबर को सुबह 6 बजकर 55 मिनट तक है।

    पूजा मुहूर्त

    शुभ-उत्तम मुहूर्त:

    सुबह 6:45 बजे से सुबह 8:05 बजे तक

    लाभ-उन्नति मुहूर्त:

    दोपहर 12:06 बजे से दोपहर 1:26 बजे तक

    अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त:

    दोपहर 1:26 बजे से दोपहर 2:46 बजे तक

    धार्मिक महत्व

    ‘चंपा षष्ठी’ के अवसर पर भगवान शिव के खंडोबा स्वरूप की पूजा की जाती है। किसान भगवान खंडोबा को अपने देवता के रूप में पूजा करते हैं। इस दिन भगवान शिव के मार्कंडेय स्वरूप की भी पूजा होती है। पूजा के समय शिवलिंग पर बाजरा, बैंगन, खांड, फूल, अबीर, बेलपत्र आदि चढ़ाया जाता है। इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा में चंपा का फूल चढ़ाते हैं। इस व्रत को करने से सुख, शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।