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    -सीमा कुमारी

    सनातन हिन्दू धर्म में ‘सोमवती अमावस्या’ (Somvati Amavasya) का विशेष महत्व है। साल 2022 की पहली ‘सोमवती अमावस्या’ 31 जनवरी, सोमवार को है। मान्यता है कि, इस दिन किसी तीर्थ स्थान पर जाकर स्नान-दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही पितृ-दोष से मुक्ति पाने के लिए अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध और तर्पण भी किया जाता है। ‘सोमवती अमावस्या'(Somvati Amavasya)  के उत्सव पर भगवान शिव को व्रत द्वारा प्रसन्न किया जाता है।

    महिलाएं ‘सोमवती अमावस्या’ का व्रत रख  अपने पति की दीघार्यु की कामना से रखती हैं। यह व्रत कोई भी व्यक्ति रख सकता है। आइए जानें ‘सोमवती अमावस्या’ का महत्व और तिथि :

    शुभ मुहर्त

    अमावस्या आरंभ:

    31 जनवरी, सोमवार, दोपहर 2: 20 मिनट से

    अमावस्या समाप्त:

    1 फरवरी, मंगलवार, प्रातः11:16 मिनट तक

    पूजा-विधि

    • अमावस्या के दिन प्रातः जल्दी उठें।
    • इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में किसी पवित्र नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें।
    • सूर्योदय के समय भगवान सूर्यदेव को जल का अर्घ्य दें।
    • इस दिन कर्मकांड के साथ अपने पितरों का तर्पण करें।
    • पितरों की आत्मा की शांति के लिए व्रत रखें।
    • आज के दिन जरूरतमंदों को दान-दक्षिणा दें।
    • ब्राह्मणों को भोजन कराएं।

    महत्व

    सोमवार के दिन आने वाली अमावस्या को ‘सोमवती अमावस्या’ कहा जाता है। इस अमावस्या का धार्मिक दृष्टि से बड़ा ही महत्व बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि, इस अमावस्या के दिन व्रत पूजन और पितरों को जल-तिल अर्पित करने से बहुत ही पुण्य की प्राप्ति होती है। सोमवार का दिन भगवान शिव का दिन माना जाता है।

    कहते हैं कि, इस दिन व्रत करने और शिव पार्वती की पूजा करने से पति की आयु लंबी होती है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। दांपत्य जीवन में स्नेह और सद्भाव बढ़ाने के लिए भी सुहागिनों को ‘सोमवती अमावस्या’ का व्रत पूजा अवश्य करना चाहिए। इस दिन की गई पूजा से नकारात्मक विचार दूर होते हैं।

    भगवान शिव के उपासकों द्वारा बड़े स्तर पर यज्ञों का आयोजन किया जाता है। इस दिन की पूजा को अमावस्या तिथि के अनुसार ही मनाया जाना चाहिए।