आज है बैसाखी का त्योहार, जानें क्या है शुभ मुहूर्त और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

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    नई दिल्ली: भारत कई विविधताओं से भरा हुआ एक संपन्न देश है, यहां कई संस्कृति और धर्म है, हाल ही में हिंदुओं का नववर्ष यानी गुड़ीपड़वा संपन्न हुआ है, वही आज पंजाब का नव वर्ष यानी बैसाखी का त्यौहार है, यह त्यौहार पंजाब में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। बैसाखी खुशहाली और समृद्धि का पर्व माना जाता है। खासकर, ये पावन त्योहार भारतीय किसानों का माना जाता है। पंजाब, हरियाणा में बैसाखी का त्योहार बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस ख़ुशी के मौके पर भांगड़ा नृत्य देखते ही बनता है। आइए आज बैसाखी के इस पावन पर्व पर हम इससे जुड़ी कुछ खास बातें आपको बताते है… 

    ये है बैसाखी की तिथि एवं मुहूर्त

    पंचांग के अनुसार, बैसाखी के दिन आकाश में विशाखा नक्षत्र होता है। पूर्णिमा में विशाखा नक्षत्र होने के कारण ही इस माह को बैसाखी कहते हैं। अन्य शब्दों में कहें तो, वैशाख महीने के प्रथम दिन को बैसाखी कहा जाता है। बैसाखी से पंजाबी नववर्ष का आरंभ होता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, बैसाखी को हर साल 13 अप्रैल या 14 अप्रैल के दिन मनाया जाता है। इस बार बैसाखी 14 अप्रैल को यानी आज पड़ रही है। आज यह त्यौहार पंजाब में बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। 

    जानें बैसाखी क्यों मनाते हैं?

    सिख समुदाय बैसाखी को नए साल के रूप में मनाते हैं. इस दिन तक फसलें पक जाती हैं और उनकी कटाई होती है, उसकी खुशी में भी यह त्योहार मनाया जाता है। इसका एक धार्मिक महत्व भी है। सिखों के 10वें गुरु गोविन्द सिंह जी ने बैसाखी के अवसर पर 13 अप्रैल 1699 को खालसा पंथ बनाया था, इसलिए भी सिख समुदाय के लिए बैसाखी का विशेष महत्व है। इस दिन केसरगढ़ साहिब आनंदपुर में विशेष उत्सव का आयोजन किया जाता है क्योंकि यहां पर ही खालसा पंथ की स्थापना हुई थी। 

    ऐसे मनाते हैं बैसाखी का उत्सव

    बैसाखी के दिन गुरुद्वारों को सजाया जाता है। लोग तड़के सुबह उठकर गुरूद्वारे में जाकर प्रार्थना करते हैं। गुरुद्वारे में गुरु ग्रंथ साहिब जी के स्थान को जल और दूध से शुद्ध किया जाता है। उसके बाद पवित्र किताब को ताज के साथ उसके स्थान पर रखा जाता है। बैसाखी का उत्सवबैसाखी के अवसर पर गुरुद्वारों को सजाया जाता है, वहां पर विशेष पूजा-अर्चना एवं प्रार्थना की जाती है। गुरु वाणी सुनते हैं। श्रद्धालुओं के लिए खीर, शरबत आदि बनाई जाती है। लंगर लगाए जाते हैं। शाम के समय में घरों के बाहर लकड़ियां जलाई जाती हैं। लोग गोल घेरा बनाकर वहां खड़े होते हैं और उत्सव मनाते हैं। गिद्दा और भांगड़ा करके अपनी खुशियों का इजहार करते हैं।