भगवान शिव के आशीष के लिए क्यों कहते हैं नंदी के कान में अपनी मनोकामना, जानिए कौन हैं नंदी और कैसे कहें नंदी से

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    सीमा कुमारी-

    सनातन धर्म में ‘महाशिवरात्रि’ (Mahashivratri) पर्व का बड़ा महत्व है। आज, यानी 18 फरवरी को ‘महाशिवरात्रि’का पावन पर्व है। शिवरात्रि, जो हिंदू महीने फाल्गुन की 13वीं रात और 14वें दिन आती है, भगवान शिव के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह एक ऐसा समय है, जब लोग प्रार्थना करते हैं और विनाश के देवता भगवान शिव से स्वास्थ्य, धन और समृद्धि के लिए आशीर्वाद मांगते हैं।

    इस दौरान कई सारे भक्त शिव मंदिर में भोलेनाथ का आशीर्वाद लेने जाते हैं, वहीं, शिव मंदिर में सबसे पहले दर्शन यदि किसी के होते हैं तो वो हैं शिव जी के प्रिय वाहन नंदी के।

    अक्सर देखा गया है कि कुछ लोग शिवलिंग के सामने बैठे नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहते हैं। ये एक परंपरा बन गई है। इस परंपरा के पीछे की वजह एक मान्यता है। आइए जानें इसके पीछे का रहस्य।

    मान्यता है जहां भी शिव मंदिर होता है, वहां नंदी की स्थापना भी जरूर की जाती है। क्योंकि, नंदी भगवान शिव के परम भक्त हैं। जब भी कोई व्यक्ति शिव मंदिर में आता है तो वह नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहता है। इसके पीछे मान्यता है कि भगवान शिव तपस्वी हैं और वे हमेशा समाधि में रहते हैं। ऐसे में उनकी समाधि और तपस्या में कोई विघ्न न आए। इसलिए नंदी ही हमारी मनोकामना शिवजी तक पहुंचाते हैं। इसी मान्यता के चलते लोग नंदी को लोग अपनी मनोकामना कहते हैं।

    शिव के ही अंश हैं नंदी

    शिलाद नाम के एक मुनि थे, जो ब्रह्मचारी थे। वंश समाप्त होता देख उनके पितरों ने उनसे संतान उत्पन्न करने को कहा तो शिलाद मुनि ने भगवान शिव की प्रसन्न कर मृत्युहीन पुत्र की मांग रखी। भगवान शिव ने शिलाद मुनि को ये वरदान दे दिया। एक दिन जब शिलाद मुनि भूमि जोत रहे थे, उन्हें एक बालक मिला। शिलाद ने उसका नाम नंदी रखा। एक दिन मित्रा और वरुण नाम के दो मुनि शिलाद के आश्रम आए। उन्होंने बताया कि नंदी अल्पायु (जिसकी कम उम्र में होती है मृत्यु) हैं। यह सुनकर नंदी महादेव की आराधना करने लगे। प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और कहा कि तुम मेरे ही अंश हो, इसलिए तुम्हें मृत्यु से भय कैसे हो सकता है ? ऐसा कहकर भगवान शिव ने नंदी का अपना गणाध्यक्ष भी बनाया।

    नंदी के कान में अपनी समस्या या मनोकामना कहने के कुछ नियम होते हैं।

    1. धर्म पंडितों की मानें तो, कोई भी मनोकामना कहने से पहले नंदी की पूजा अवश्य करें।
    2. नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहते समय इस बात का ध्यान रखें कि आपकी कही हुई बात कोई और न सुनें।
    3. अपनी बात इतनी धीमें कहें कि आपके पास खड़े व्यक्ति को भी उस बात का पता न लगे।
    4. अपनी बात नंदी के किसी भी कान में कही जा सकती है, लेकिन बाएं कान में कहने का ज्यादा महत्व है।
    5. अपनी बात कहते समय अपने होंठों को अपने दोनों हाथों से ढंक लें, ताकि कोई अन्य व्यक्ति उस बात को कहते हुए आपको न देखें।
    6. नंदी के कान में कभी भी किसी दूसरे की बुराई, दूसरे व्यक्ति का बुरा करने की बात न कहें।
    7. नंदी को अपनी मनोकामना बोलने के बाद उनके सामने कोई चीज भी भेंट करें, जैसे फल, धन या फिर प्रसाद।
    8. मनोकामना बोलने के बाद बोलें ये बोले ‘नंदी महाराज हमारी मनोकामना पूरी करो’ ।
    9. अगर आप ऐसा करते हैं, तो आपकी मनोकामना भगवान शिव तक पहुंच जाएगी और इसका फल आपको तुरंत प्राप्त होगा।