Karva Chauth 2023
करवा चौथ की फोटो

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सीमा कुमारी

नवभारत डिजिटल टीम: हिन्दू धर्म में ‘करवा चौथ का विशेष महत्व हैं। हर साल सुहागन महिलाएं अपने पति की सुख-समृद्धि और लंबी उम्र के लिए ‘करवा चौथ’ (Karwa Chauth Vrat 2023) का व्रत रखती हैं। इस साल यह व्रत 1 नवंबर, 2023 बुधवार के दिन रखा जाएगा। मान्यता है कि महिलाओं द्वारा इस पर्व को करने से इनके पति के सारे संकट दूर हो जाते हैं और दीर्घायु होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर यह व्रत पहली बार किसने रखा था। कैसे इस व्रत की शुरुआत हुई, धार्मिक मान्यताओं में करवा चौथ का व्रत रखने की अलग-अलग कथाएं मौजूद है। ऐसे में आइए जानें इस बारे में-

ज्योतिषियों के अनुसार, सबसे पहले करवा चौथ का व्रत माता पार्वती ने भोलेनाथ के लिए रखा था। इसी व्रत से उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति हुई थी। इसलिए करवाचौथ में महिलाएं अपने माता पार्वती और भोलेनाथ की पूजा करती हैं, जिससे उन्हें अखंड सौभाग्य का आर्शिवाद प्राप्त हो।इसके साथ ही करवा चौथ’ का व्रत महाभारत काल की एक कथा में भी पढ़ने को मिलता है। इस कथा के अनुसार एक बार अर्जुन नीलगिरी पर्वत पर तपस्या करने के लिए गए थे, लेकिन तभी उनके दूसरे भाइयों पर गहरा संकट आ गया।

किसी को समझ नहीं आ रहा था कि कैसे इस समस्या का निपटारा होगा, तब द्रोपदी अपनी समस्या लेकर श्रीकृष्ण के पास पहुंची। श्री कृष्ण ने उन्हें पांडवों की रक्षा के लिए कार्तिक माह की चतुर्थी के दिन करवा का व्रत करने को कहा। श्री कृष्ण के कहने पर द्रौपदी ने यह व्रत रखा और पांडवों को संकटों से मुक्ति मिल गई।

ज्योतिषाचार्य के अनुसार, चंद्रमा से अमृत वर्षा होती हैं। जिसके कारण चंद्रमा को पूजने से सुहागिन महिलाओं के पति पर अमृत वर्षा होती हैं। वहीं दूसरी तरफ एक मान्यता यह भी है कि जब भगवान गणेश की गर्दन कटी तो मस्तिष्क जाकर चंद्रमा पर गिरा तो भगवान गणेश की पत्नी रिद्धि-सिद्धि चंद्रमा में ही अपने पति को देखती थी और चंद्रमा को देखकर ही अपना व्रत तोड़ती थीं। इसलिए करवा चौथ के दिन चंद्रमा को देखकर ही व्रत तोड़ा जाता है।