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    -सीमा कुमारी

    पंचांग के अनुसार, इस वर्ष जितिया, यानी ‘जीवित्पुत्रिका व्रत’ (Jivitputrika Vrat) 18 सितंबर, रविवार को रखा जाएगा। यह व्रत हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन रखी जाती है। शास्त्रों के अनुसार, जितिया में जीमूतवाहन भगवान की पूजा की जाती है और उनसे सुख, समृद्धि की कामना की जाती है। जितिया व्रत में कई नियमों का पालन करना आवश्यक माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि छोटी सी गलती भी बड़े दुष्परिणाम का कारण बन सकती है। ऐसे में आइए जानें जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत में किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

    इन बातों का रखें ख्याल

    व्रत के पहले दिन नहाय-खाय किया जाता है। इसमें व्रती महिलाएं स्नान-ध्यान करके और पूजा-पाठ करने के बाद भोजन ग्रहण करती हैं और इसके दूसरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। ऐसे में इस दिन तामसिक भोजन जैसे प्याज या लहसुन का सेवन नहीं किया जाना चाहिए। इस दिन मांसाहार बिलकुल भी नहीं खाना चाहिए।

    मान्यता के अनुसार, व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना अनिवार्य है। इस दौरान लड़ाई व झगड़े से भी दूर रहना चाहिए। किसी के लिए अपशब्द का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए।

    ज्योतिषियों का मानना है कि, आपने अगर एक बार जितिया व्रत रखा है तो इसे हर वर्ष करने का प्रयास करें। साथ ही इन तीन दिनों में मन में किसी के प्रति दुर्भावना या क्रोध को न उमड़ने दें। ऐसा करने से व्रत सफल नहीं होता है।

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस जीमूतवाहन भगवान की पूजा की जाती है। इसलिए इस उनकी कुश से बनी मूर्ति को पात्र में रखा जाता है और उन्हें पीले अथवा लाल रुई से सजाया जाता है। फिर अक्षत, फूल, माला, फल, धूप, दीप इत्यादि से इनकी पूजा की जाती है।

    जितिया व्रत पूजा प्रदोष काल में की जाती है। इस शुभ काल में गाय के गोबर से लीपकर पूजा स्थल को शुद्ध किया जाता है और उस स्थान पर एक छोटा सा तलाब बनाया जाता है। यदि ऐसा सम्भव नहीं है तो आप तालाब के निकट जाकर पूजा कर सकते हैं और परिवार के सुख-समृद्धि की कामना कर सकते हैं।