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    -सीमा कुमारी

    दीपोत्सव का पर्व ‘दीपावली’ कल गुरुवार 4 नवंबर के दिन देशभर में मनाया जाएगा।  दिवाली का पर्व अंधकार पर प्रकाश के विजय का प्रतीक है। दीपावली पांच दिनों का पर्व होता है, जिसमें ‘धनतेरस’ से ‘भाई दूज’ तक यह त्योहार मनाया जाता है। दिवाली की शाम लक्ष्मी-गणेश, कुबेर और माता सरस्वती की पूजा -अर्चना की जाती है।

    लक्ष्मी जी को सुख-समृद्धि की देवी कहा गया है। जीवन में जब लक्ष्मी जी कृपा प्राप्त होती है तो व्यक्ति का जीवन में संपन्नता आती है। लक्ष्मी जी को ‘धन की देवी’ कहा जाता है। कलियुग में धन को एक प्रमुख साधन माना गया है। आइए जानें दिवाली पर किस शुभ-मुहूर्त में और किस प्रकार करें ‘लक्ष्मी पूजन’ –

    शुभ-मुहूर्त

    04 नवंबर 2021, गुरुवार को लक्ष्मी-गणेश पूजन का शुभ समय- शाम 06 बजकर 10 मिनट से लेकर 08 बजकर 06 मिनट तक रहेगा।

    दिवाली 2021 में लक्ष्मी पूजन की अवधि- 1 घंटा 55 मिनट

    प्रदोष काल – शाम 05 बजकर 34 मिनट से रात 08 बजकर 10 मिनट तक

    वृषभ काल – शाम 06 बजकर 10 मिनट से रात 08 बजकर 06 मिनट तक 

    दिवाली लक्ष्मी पूजा का महानिशीथ काल मुहूर्त

    लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त

    रात 11 बजकर 38 मिनट से लेकर 12 बजकर 30 मिनट तक

    अवधि – 52 मिनट तक

    लक्ष्मी-गणेश की पूजन विधि

    दीपावली के दिन गणेश-लक्ष्मी के पूजन के लिए सबसे पहले एक चौकी पर लाल रंग का आसन बिछा कर गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। इनके साथ भगवान कुबेर, मां सरस्वती और कलश की स्थापना करें। इसके बाद

    ऊं अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा।

    य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि:।।

    मंत्र का जाप करते हुए तीन बार गंगा जल से छिड़क कर सभी स्थान को शुद्ध करना चाहिए। पूजन का संकल्प लेते हुए भगवान गणेश और कलश की पूजा करना चाहिए। हाथ में फूल लेकर गणेश जी का ध्यान करें और उनके बीज मंत्र – ऊं गं गणपतये नम:। और,

    गजाननम्भूतगभू गणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्।

    म् उमासुतं सु शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्।।

    मंत्र का 3 बार जाप करते हुए उन्हें सिंदूर का तिलक लगाएं और दूर्वा चढ़ाए । इसके बाद कलश पूजन के लिए कलश पर मौली बांधें। उसमें गंगा जल भर आम के पत्ते और नारियल रखें। कलश को जनेऊ, फल-फूल, रोली, अक्षत चढां कर, गोबर से गौरा का बनाकर उन्हें सिंदूर चढ़ाएं। इसके बाद मां लक्ष्मी को रोली से तिलक करते हुए, उन्हें धूप-दीप और वस्त्र चढ़ाएं। मां लक्ष्मी की पूजन उनके बीज मंत्र और इन मंत्रों का जाप करें-

    ॐ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।

    ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:।

    ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।

    इसके साथ ही दीपावली के दिन मां लक्ष्मी के श्री सूक्त का पाठ करना चाहिए। इनके साथ ही धन कुबेर और मां सरस्वती का पूजन भी इसी विधि से करें। मां काली का पूजन अद्धरात्रि में करने का विधान है। सभी देवी-देवताओं के पूजन के बाद हवन करना चाहिए। गणेश लक्ष्मी को खील-बताशे, नैवेद्य, पान-सुपारी,फल, पंचामृत का भोग लगाएं। पूजन का अतं लक्ष्मी-गणेशी की आरती गा कर करना चाहिए। पूजा से उठकर पूरे घर में दिये जलाए जाते हैं और पूजन का प्रसाद सब में बांटना चाहिए।