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    -सीमा कुमारी

    पति-पत्नी के प्रेम का त्योहार ‘करवा चौथ’ (Karwa Chauth 2021) हिन्दू सुहागन महिलाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जल व्रत रखती हैं और चंद्रमा को देखकर अपने पति के हाथों पानी पीकर ही व्रत तोड़ती हैं। इसके पहले महिलाएं एक जगह एकत्रित होकर करवा माता की पूजा और कथा सुनती हैं। 

    इस पवित्र पूजा में प्रयोग में होने वाली हर चीज का अपना अलग ही महत्व है, जो इस व्रत के इतिहास और शक्ति का प्रतीक हैं। ऐसे में हम आपको कुछ ऐसी चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके प्रयोग के बिना करवा चौथ की पूजा अधूरा माना जाता है। आइए जानिए इसके बारे में…

    ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, ‘करवा चौथ’ की पूजा में ‘करवा’ का महत्वपूर्ण योगदान है। ‘करवा’ उस नदी का प्रतीक माना जाता है, जिसमें ‘माता करवा’ के पति का पैर मगरमच्छ ने पकड़ लिया था। जिसको माता करवा ने अपने सतीत्व के बल पर छुड़वाया था। करवा मिट्टी का बर्तन होता है, जिसमें पानी भरकर चंद्रमा को अर्ध्य दिया जाता है। इसलिए ‘करवा चौथ’ की पूजा में करवा का प्रयोग करना ना भूलें।

    कहते हैं कि, ,’करवा चौथ’ के व्रत में पूजा करते समय और कथा सुनने के दौरान सींक जरूर अपने पास रख लें। सींक ‘माता करवा’ की शक्ति का प्रतीक माना जाता है। माता करवा ने सींक की मदद से चित्रगुप्त के खाते के पन्नों को उड़ा दिया था।

    मान्यताओं के मुताबिक, सनातन हिन्दू धर्म में बिना दीपक के कोई भी पूजा नहीं होती है। इसलिए ‘करवा चौथ’ की पूजा में भी दीपक का महत्व है। दीपक से करवा माता और चंद्रमा की पूजा करते हैं और छलनी में दीपक को रखकर पति का  चेहरा भी देखते हैं। दीपक की लौ हमारे जीवन की ज्योति का प्रतीक मानी जाती है।

    ‘माता करवा’ की तस्वीर भारतीय संस्कृति के जीवन की झलक को दर्शाती है। इस तस्वीर में सूर्य के साथ-साथ चंद्रदेव और तारे भी दर्शाए गए हैं। साथ ही करवा चौथ की कथा का अंश मिलता है।ऐसे मेंमाता करवा की तस्वीर रखना न भूलें।

    ‘करवा चौथ’ की पूजा में छन्नी का काफी बड़ा महत्व माना जाता है। महिलाएं पूजा की थाली सजाते समय बाकी चीजों के साथ छन्नी को भी थाली में जरूर जगह देती हैं। महिलाएं इसी छन्नी से पति का मुंह देखकर अपना करवा चौथ का व्रत पूरा करती हैं। पूजा के दौरान महिलाएं छन्नी में दीपक रखकर चांद को देखने के बाद अपने पति का चेहरा देखती हैं। जिसके बाद पति के हाथों से जल ग्रहण कर शादीशुदा महिलाएं अपना व्रत पूरा करती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं आखिर छलनी से ही क्यों देखा जाता है पति का चेहरा ?

    ‘करवा चौथ’ (Karwa Chauth) की पूजा की सामग्री- दीपक, फल, करवा, बताशा आदि चीज़ें रखने के लिए थाली का प्रयोग किया जाता है। इसमें दीपक जलाकर माता करवा की पूजा की जाती है और मां से आशीर्वाद  मांगा जाता है। चांद देखने के बाद मां गौरी की पूजा का विधान है। माता करवा के साथ मां गौरी की पूजा में पूरी और हलवा का भोग लगाया जाता है।