इन महिलाओं को नहीं देखना चाहिए ‘होलिका दहन’ और ‘भद्रा’ के दौरान यह काम बिल्कुल न करें

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    -सीमा कुमारी

    रंगों का त्योहार ‘होली’ आने में कुछ ही दिन बाकी है। होली का पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन होलिका दहन किया जाता है। वहीं, इसके अगले दिन चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि को रंग वाली होली खेली जाती है। होली से पहले होलिका जलाई जाती है। ऐसे में ‘होलिका दहन’ की पूजा करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। तो आइए जानें होलिका दहन की पूजा के दौरान किन बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है ?

    धर्मगुरू के अनुसार, नवविवाहित स्त्रियों को होलिका की जलती हुई अग्नि को नहीं देखना चाहिए। इसके पीछे कारण है कि, होलिका की अग्नि को लेकर माना जाता है कि आप पुराने साल को जला रहे है। यानी पुराने साल के शरीर को जला रहे है। होलिका की अग्नि को जलते हुए शरीर का प्रतीक माना जाता है। इसलिए जिन महिलाओं की इस दौरान शादी हुई हो या नवविवाहित कन्याओं और स्त्रियों को होलिका की जलती हुई अग्नि को देखने से बचना चाहिए ।

    कहते हैं कि, इस दिन बेवजह किसी सन्नाटे की जगह, अथवा श्मशान जाने से बचना चाहिए । क्योंकि, इसी दिन कई लोग तांत्रिक क्रियाएं करवाते हैं, जिसका नकारात्मक असर आप पर भी पड़ सकता है।

    ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, ‘होलिका दहन’ के दिन कोई भी, मांगलिक अथवा शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। इसके अलावा, पूजन के समय, अपना सिर ढंककर ही पूजा करें।

    ज्योतिषियों के मुताबिक, अगर आप समय-समय पर बीमार होते रहते हैं, तो इस दिन 11 हरी इलायची और कपूर को आपको होलिका की अग्नि में डालना चाहिए है यह काफी शुभ होगा इससे बीमारी से मुक्ति मिल सकती है। इसके साथ, इस दिन भूलकर भी, सफेद खाद्य पदार्थ ग्रहण न करें।

    शुभ मुहूर्त  

    पूर्णिमा तिथि 17 मार्च को दोपहर 1 बजकर 29 मिनट से शुरू होकर 18 मार्च की दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगी। ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 17 मार्च को रात 09 बजकर 20 मिनट से देर रात 10 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। होलिका दहन के लिए करीब 01 घंटा 0 मिनट का समय लगेगा।

    ‘होलिका दहन’ पूर्णिमा तिथि को प्रदोष काल के समय करना चाहिए। भद्रा रहित, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन के लिए शुभ माना जाता है। अगर ऐसा योग नहीं है तो भद्रा समाप्त होने के बाद होलिका दहन किया जा सकता है। भद्रा के दौरान होलिका दहन करना वर्जित होता है।