तुलसी
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सीमा कुमारी

नवभारत डिजिटल टीम: ‘तुलसी’ (Tulsi) के पौधे को हिंदू धर्म में विशेष महत्व दिया जाता है और यह सबसे पवित्र पौधा भी माना जाता है। ज्योतिषियों का मानना है कि, तुलसी के पौधे का संबंध मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु से बताया गया है। मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए तुलसी में जल देना चाहिए। अधिकतर लोग तुलसी में जल अर्पित करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि तुलसी में जल देने के लिए किस धातु के लोटे का इस्तेमाल अच्छा है, पीतल, तांबा या स्टील? आइए जान लें। किस धातु के पात्र से तुलसी में जल देने का विधान है और इसके लिए क्या नियम है।

ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, यदि आप तुलसी में नियमित रूप से जल चढ़ाती हैं तो प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर साफ़ वस्त्रों में तुलसी को जल दें। तुलसी के पौधे को यदि आप तांबे के लोटे (Copper Pot) से जल देंगी तो आपके लिए अत्यंत शुभ होगा। तांबा से मंगल ग्रह का संबंध है। ऐसे में मंगल देव की कृपा पाने के लिए और मंगल ग्रह को मजबूत करने के लिए तांबे के लोटे से तुलसी में जल अर्पित करना चाहिए। चूंकि तांबा को शुभ धातु के रूप में भी स्वीकार किया गया है, इसलिए इस धातु के बर्तन से तुलसी में जल देने पर जीवन में शुभता आती है।

बिना नहाए तुलसी में जल नहीं देना चाहिए। तुलसी में हमेशा स्नान करने के बाद ही जल देना चाहिए। मान्यता अनुसार, तुलसी में मां लक्ष्मी का वास है। ऐसे में जो कोई सही विधि से तुलसी में जल देते हैं, उन्हें मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

पूजा-पाठ के कार्यों में स्टील के बर्तनों का इस्तेमाल करना शुभ नहीं माना जाता है। इसलिए तुलसी में जल चढ़ाने के लिए स्टील का पात्र उचित नहीं है। ऐसे में अगर आप तुलसी में स्टील के लोटा से जल अर्पित करते हैं तो तत्काल बंद कर दें।

जिन लोगों की कुंडली में गुरु ग्रह कमजोर हो, उन्हें पीतल के लोटे से तुलसी में जल देना चाहिए। अगर किसी जातक को वैवाहिक जीवन से जुड़ी परेशानियां हैं, उन्हें पीतल के लोटे से तुलसी में जल देना चाहिए।