Shiv Sena Crisis

  • वेतन समस्या से निपटने में मदद

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मुंबई. एसटी महामंडल (ST Mahamandal) कर्मचारियों के वेतन भुगतान की समस्या से निपटने के लिए ठाकरे सरकार ने 1 हजार करोड़ की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है. बुधवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Chief Minister Uddhav Thackeray) की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस फैसले (decision )को मंजूरी दी गई. इससे पहले अक्टूबर महीने में निगम के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए सरकार ने आकस्मिक निधि से अग्रिम 120 करोड़ रुपए मंजूर किए थे. 

ऐसे में 1 हजार करोड़ के पैकेज से 120 करोड़ रुपए की कटौती के बाद शेष 880 करोड़ रुपये का भुगतान 6 मासिक किस्तों में किया जाएगा. इस राशि को शीतकालीन सत्र में पूरक मांग के रूप में अनुमोदित किया जाएगा. इसके तहत नवंबर 2020 से मार्च 2021 के लिए 150 करोड़ रुपए प्रति माह और अप्रैल 2021 के लिए 130 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. 

फंड नहीं होने की वजह से वेतन भुगतान में आ रही थी समस्या 

हाल के महीनों में फंड नहीं होने की वजह से एसटी कर्मचारियों के वेतन भुगतान में समस्या आ रही थी. इस वजह से एक कर्मचारी ने ख़ुदकुशी भी कर ली थी. जिसके बाद ठाकरे सरकार ने आनन-फानन में आकस्मिक निधि से 120 करोड़ रुपए मुहैया कराए थे. लॉकडाउन के कारण एसटी कॉर्पोरेशन की परिवहन सेवाएं 23 मार्च से बंद कर दी गई थी. इस वजह से महामंडल के राजस्व पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा था. 

वित्तीय सहायता प्रदान करने का निर्णय 

हालांकि बाद में लॉकडाउन में ढील के बाद एसटी सेवा शुरू होने पर कर्मचारियों ने काम शुरू कर दिया था. वहीँ लॉकडाउन के दौरान दूसरे राज्यों से अन्य लोगों के अलावा छात्रों को लाने के लिए एसटी कर्मचारियों ने अपनी सेवाएं प्रदान की थी. लोगों के मन में आशंकाओं के कारण यात्रियों की संख्या अभी भी सीमित है. इसलिए एसटी निगम के नुकसान को देखते हुए सरकार ने यह वित्तीय सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया है. 

कैबिनेट के अन्य फैसले

मुंबई में विधानमंडल का शीतकालीन सत्र, राज्यपाल के पास भेजी सिफारिश

कोरोना महामारी को देखते हुए इस बार महाराष्ट्र विधान मंडल का शीतकालीन सत्र नागपुर की जगह मुंबई में आयोजित किया जाएगा. बुधवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस फैसले के बारे में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को सिफारिश भेजने का फैसला लिया गया. इससे पहले यह सत्र 7 दिसंबर से नागपुर में आयोजित किया जाना था. मुंबई में इस सत्र को आयोजित किए जाने के लेकर विधान भवन में तैयारी तेज हो गई है. माना जा रहा है कि राज्यपाल के  अनुमोदन के बाद इस बारे में औपचारिक घोषणा कर दी जाएगी .

गैर-शिक्षण कर्मचारियों को भी पेंशन का लाभ

मुंबई विश्वविद्यालय में एचटीई सेवा प्रणाली के लिए पंजीकृत नहीं होने वाले  नियमित गैर-शिक्षण कर्मचारियों को भी पेंशन का लाभ प्रदान किया जाएगा. बुधवार को कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया. मुंबई विश्वविद्यालय ने 148 सरकारी स्वीकृत पदों को असंबद्ध पदों पर स्थानांतरित या पदोनीत्ति किया है. जिसकी वजह से कर्मचारियों की सेवाएं बाधित हो गई हैं. यह स्वीकार करते हुए कि ऐसे कर्मचारियों द्वारा असंबद्ध पदों पर प्रदान की गई सेवा नियमित है. उन्हें भी  उक्त सेवा के दौरान सेवानिवृत्ति लाभों के लिए योग्य  माना जाना चाहिए. सभी गैर-कृषि विश्वविद्यालयों के लिए सरकार द्वारा स्वीकृत पदों की बिंदु सूची को अलग रखा जाना चाहिए. सरकार ने यह भी निर्णय लिया कि विश्वविद्यालय को ऐसे सब्सिडाइज्ड कर्मचारियों को बिना सदस्यता वाले पदों पर स्थानांतरित नहीं करना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों. 

दिसंबर 2019 तक राजनीतिक और सामाजिक मुकदमे वापस

ठाकरे सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए 31 दिसंबर 2019 तक राज्य में दायर राजनीतिक और सामाजिक मामलों को वापस लेने का फैसला किया है. बुधवार को कैबिनेट की बैठक में इस पर मुहर लगाई गई. इससे पहले, 14 मार्च 2016 के फैसले से 1 नवंबर, 2014 से पहले के मामलों को वापस लेने का फैसला किया गया था. इसके बावजूद 1 नवंबर 2014 के बाद भी राज्य में विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक और अन्य जन आंदोलनों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है. इन मामलों को वापस लेने के लिए जनप्रतिनिधियों और विभिन्न संगठनों से लगातार अनुरोध किया जा रहा था. मामलों को वापस लेने के लिए वित्त और योजना मंत्री की अध्यक्षता में एक कैबिनेट उप समिति का गठन किया गया था. अब फैसला लेने के बाद कैबिनेट उप समिति को बर्खास्त कर दिया गया है, क्योंकि गृह मंत्री अब इन मामलों को गृह विभाग के प्रमुख के रूप में हटाने के लिए सक्षम प्राधिकारी हैं. इस फैसले से सरकार में शामिल  नेताओं के अलावा विपक्ष के नेताओं को भी राहत मिलेगी.  

महाराष्ट्र में बस्तियों के नाम जाति पर नहीं

सामाजिक क्रांति और समानता स्थापित करने के संदर्भ में कैबिनेट की बैठक में एक बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है. अब महाराष्ट्र में बस्तियों को जाति के नाम देने की प्रथा को समाप्त कर दिया गया है. सामाजिक न्याय और विशेष सहायता मंत्री धनंजय मुंडे ने कहा कि कैबिनेट की बैठक में बस्तियों के नाम जाति के बजाय महान हस्तियों के नाम पर रखने का निर्णय लिया गया है. मुंडे के सुझाव के बाद सामाजिक न्याय विभाग ने कैबिनेट को अनुमोदन के लिए एक प्रस्ताव पेश किया था, जिसे सर्वसम्मति से मंजूरी दी गई है. राज्य के विभिन्न शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ बस्तियों के नाम जाति पर रखे गए हैं. इनमें महारवाड़ा, मंगवाड़ा, ब्राह्मणवाड़ा शामिल हैं. सामाजिक न्याय विभाग द्वारा समता नगर, भीमनगर, ज्योतिनगर, क्रांतिनगर जैसे नाम देने का प्रस्ताव राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में अनुमोदन के लिए दिया गया था. कुछ दिनों पहले राकां अध्यक्ष शरद पवार ने भी कहा था कि बस्तियों के नाम जाति पर रखना उचित नहीं है.