मैंने मौत को बहुत करीब से देखा है

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– कोरोना को मात देकर ठीक हुए सेलेब्रिटियों के डॉक्टर जलील

मुंबई. बॉलीवुड से लेकर राजनेताओं, बड़े बिजनेस मैन और अधिकारियों का इलाज करने वाले लीलावती अस्पताल के डॉक्टर जलील परकार खुद कोरोना संक्रमित हो गए थे. मुंबई में कोरोना संक्रमण के बाद से ही वे कोरोना मरीज़ों के इलाज में लगे हुए थे. इलाज करते-करते वो खुद भी चपेट में आ गए.उन्होंने मरीज के नजरिए से बताया कि मैंने मौत को बहुत करीब से देखा है.

लीलावती अस्पताल में भर्ती 200 से भी अधिक कोरोना मरीज़ों का इलाज करने वाले डॉक्टर जलील परकार खुद मौत के मुंह से बाहर आये हैं. डॉ. जलील ने बताया ‘मेरी तबियत 13 जून को खराब हुई.मैं काफी कमजोर महसूस कर रहा था.अस्पताल में मुझे किस अवस्था में ले जाया गया वो भी मुझे याद नहीं. 

…तो मैं मेरे बेटे को क्या उत्तर दूंगा

जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई,अगले ही दिन मेरे बगल में मेरी पत्नी भी लेटी हुई थी.यह देख मुझे काफी टेंशन हो गया कि यदि मेरी पत्नी को कुछ हो जाता है तो मैं मेरे बेटे को क्या उत्तर दूंगा. फिर मैंने उसी क्षण ठाना की मुझे ठीक हो कर निकलना है. मैं भगवान से यही दुवा मांगता था कि मैं और मेरी पत्नी ठीक हो जाएं ताकि मैं फिर से लोगों का इलाज कर सकूं.एक डॉक्टर के नाते मैं जब भी आईसीयू में जाता था हमारा एक ध्येय होता था कि मरीज को बचाना है, लेकिन जब मैं एक मरीज रूप में भर्ती था तो मुझे शुरुआत में सिर्फ मौत ही दिखाई दे रही थी. इस काल में मैं और मेरे सहयोगी डॉक्टरों ने कई मरीज़ों की जान बचाई तो कुछ लोगों को हम नहीं बचा पाए, जिसके लिए मुझे खेद है.

प्राइवेट अस्पताल का योगदान कम नहीं

डॉ. पारकर ने कहा कि मरीज के नजरिये से देखें तो  अस्पताल के डॉक्टर्स, नर्स, वार्ड बॉय व अन्य स्टॉफ का भी कोरोना के खिलाफ चल रही जंग में अहम योगदान है. 6 घंटे पीपीई सूट पहनना, उस दौरान न तो पानी पी सकते हैं न ही शौच जा सकते हैं. अपनी जान की बाजी लगाने के साथ-साथ परिवार को भी खतरे में डाल रहे हैं. इसके बावजूद सरकार निजी अस्पतालों को रडार पर रखे हुए है.मेरी सरकार से विनती है कि निजी अस्पतालों के पीछे चाबुक लेकर न पड़े.जब मरीज हमारे पास आता है तो हमारे लिए उसकी जान बचाने के लिए जो बन पड़ता है वो करते हैं. उसके बावजूद सरकार उसमें पेपरवर्क या अन्य कारणों को लेकर कार्रवाई करे तो यह ठीक नहीं है.