ट्रेन में तिल रखने की जगह नहीं, लॉकडाउन की वजह से पलायन तेज- ज्यादा ट्रेनें छोड़ रही रेलवे

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    मुंबई. मुंबई एवं उपनगरों सहित राज्य भर में कोरोना (Corona) के बढ़ते मामलों के बीच राज्य सरकार द्वारा घोषित पूर्ण लॉकडाउन (Lockdown) की वजह से पलायन तेज हो गया है। बुधवार की रात से घोषित लॉकडाउन वजह से बड़ी संख्या में मजदूर (Labourer) वर्ग गांव (Village) की तरफ रवाना हो रहे हैं।

    विशेषकर मुंबई एवं उपनगरों में काम करने वाले उत्तर भारत के मजदूर वर्ग के लोग बड़ी संख्या में एलटीटी (LTT) ,ठाणे (Thane), कल्याण (Kalyan) से विभिन्न ट्रेनों में रवाना होने लगे हैं। पॉवरलूम बहुल भिवंडी में काम करने वाले ज्यादातर लोगों की भीड़ कल्याण स्टेशन पर दिखाई दे रही हैं। कल्याण से गुजरने वाली ट्रेनें खचाखच भरी जा रहीं हैं। ऐसे में रेलवे के सोशल डिस्टेंसिंग की अपील का कोई असर नहीं हो रहा है।

    ठाणे, कल्याण से बिना टिकट यात्रा

    लॉकडाउन की वजह से ठाणे, कल्याण स्टेशनों से लोग बिना टिकट ही ट्रेनों में चढ़ रहे हैं। बुधवार को भिवंडी से कई युवक बिना टिकट ही कल्याण स्टेशन पर बिना टिकट ही गोदान एक्सप्रेस में चढ़ गए। इनमें से एक संतोष खरवार ने बताया कि क्या करें लूम बंद हो गया है,काम नहीं है,स्टेशन पर आए तो टिकट भी नहीं मिला इसलिए मजबूरी में बिना टिकट चढ़ गए। अब टीसी को दंड भर कर किसी तरह जाएंगे। इसी तरह की स्थिति बुधवार की रात निकली महानगरी में भी बड़ी संख्या में लोग बिना टिकट या वेटिंग टिकट लेकर चढ़ें। महानगरी से यात्रा कर रहे एक यात्री ने फोन पर बताया कि गाड़ी में तिल रखने की जगह नहीं है। ठाणे, कल्याण यहां तक कि नाशिक,भुसावल से लोग बिना बेरोकटोक चढ़ रहे हैं। बीच में रेलवे के टीसी भी आर्थिक दंड की रसीद फाड़ कर लोगों को यात्रा करने दे रहें हैं।  पिछले साल की तरह फिर से लॉकडाउन लगने से लोग अपने राज्यों को वापस लौटने लगे हैं, जिसके चलते मुंबई और अन्य स्टेशनों पर काफी भीड़ होने लगी है। 

    बस और ट्रकों से भी जा रहे लोग

    लॉकडाउन के अलावा उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के चलते भी बड़ी संख्या में लोग वोट देने अपने गांव जा रहे हैं। ठाणे, कल्याण, भिवंडी, भायंदर, वसई इन इलाकों से लोग बसों और ट्रकों में भी गांव रवाना हो रहें हैं। हालांकि पिछली बार की अपेक्षा इस बार पलायन करने वालों की संख्या कम बताई जा रही है। भिवंडी के आसपास बड़ी संख्या में वेयरहाउस में माल लेकर आने वाले ट्रक वालों से संपर्क कर मजदूर वर्ग गांव की ओर निकलने लगे हैं। साइजिंग और लूम मालिकों को डर है कि उनका काम अब पूरी तरह से बंद हो जाएगा।

    मध्य रेलवे की रोजाना 18-20 ट्रेनें 

    मध्य रेलवे के सीएसएमटी और एलटीटी से रोजाना 18 से 20 ट्रेनें उत्तर भारत की तरफ छोड़ी जा रहीं हैं। मध्य रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी लगातार यात्रियों का मार्गदर्शन कर रहे हैं। एलटीटी पर व्यवस्था में स्वयं जुटे मध्य रेलवे के सीपीआरओ शिवाजी सुतार ने बताया कि यात्रियों की जरूरतों को देखते हुए ज्यादा से ज्यादा स्पेशल ट्रेनें चलाने का निर्णय लिया गया है। शिवाजी सुतार ने कहा कि दो घंटे के अंतराल में जब दो-तीन ट्रेनें छूटती है तो भीड़ जमा होना स्वाभाविक है। सुतार ने कहा कि अप्रैल में अप-डाउन मिलाकर 230 समर स्पेशल ट्रेन चलाने की घोषणा की गई है। उन्होंने कहा  कि ज्यादा से ज्यादा ट्रेनें चलेंगी और लोग पैनिक न हों। उन्होंने कहा कि एलटीटी और सीएसएमटी से रोज अतिरिक्त  ट्रेनें  छोड़ी जा रहीं हैं और भी ट्रेनें छोड़ी जाएंगी। बुधवार को एलटीटी से 26 ट्रेन छोड़ी गई, जिनमें 18 ट्रेनें उत्तर और पूर्व की ओर जाने वाली है। 

    पश्चिम रेलवे से भी समर स्पेशल ट्रेनें 

    पश्चिम रेलवे के सीपीआरओ सुमित ठाकुर के अनुसार,  पश्चिम रेलवे से भी उत्तर भारत के लिए समर स्पेशल ट्रेनें छोड़ी जा रहीं हैं। वेट लिस्ट टिकटों की मानेटरिंग हो रही है। 15 अप्रैल को भी दो ट्रेनें छोड़े जाने का निर्णय हुआ है।

    राज्य सरकार ने नहीं दी सूचना

    रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पूर्ण लॉकडाउन घोषित करने के पहले पलायन करने वाले यात्रियों के संबंध में राज्य सरकार को तैयारी कर जरूरी सूचना देनी चाहिए। रेल प्रशासन ने लोगों से अपील कर रहा है कि जिनके पास कन्फर्म टिकट हो सिर्फ वहीं लोग स्टेशन आएं, परन्तु बड़ी संख्या में अन्य यात्री भी स्टेशन आ रहें हैं। इन्हें नियंत्रित करने या उनके लिए ट्रेन छोड़ने संबंधी कोई सूचना राज्य सरकार ने रेलवे को नहीं दी। राज्य सरकार और रेलवे के बीच समन्वय न होने की बात भी की जा रही है। सीएसएमटी,एलटीटी, बांद्रा, मुंबई सेंट्रल इन बड़े स्टेशनों पर भीड़ को नियंत्रित करने महाराष्ट्र सुरक्षा दल , होमगार्ड, आरपीएफ, जीआरपी और स्थानीय पुलिस की मदद ली जा रही है। जबकि ठाणे, कल्याण, बोरिवली, वसई इन स्टेशनों पर यात्र की बढ़ती भीड़ को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था का अभाव दिखाई दे रहा है।