4 वर्ष बाद प्रांताधिकारी को कार्रवाई का आदेश

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  • नवीन शर्त की जमीन पर अवैध निर्माण का मामला
  • वसई- विरार में सरकारी जमीनों पर तेजी से हो रहा अतिक्रमण

राधाकृष्णन सिंह

नालासोपारा. पूर्व के अचोले में नवीन शर्त की जमीन पर अवैध निर्माण के मामले में वसई तहसीलदार ने प्रांत अधिकारी को कार्रवाई करने का आदेश जारी करते हुए हुए उसे सरकार खाते में जमा करने को कहा है. गौरतलब है कि मनपा के 3 रिमाइंडर के 4 वर्ष बीत जाने के बाद राजस्व विभाग ने कार्रवाई का आदेश जारी किया है. अचोले स्थित सर्वे क्रमांक 251, भाग संख्या 3 की नवीन शर्त की जमीन पर 4 वर्ष पहले से 2 अवैध निर्माण कार्य चल रहे हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. अब यदि कार्रवाई होती है तो सैकड़ों परिवारों के बेघर होने की आशंका रहेगी. वसई-विरार क्षेत्र में सरकार, वन विभाग और नवीन शर्त की जमीनों पर तेजी से अतिक्रमण हो रहा है.इसे रोकने के लिए प्रशासन कोई उपाय नहीं कर रहा है, इसलिए आशंका व्यक्त की जा रही है कि अगले कुछ वर्षों में शेष बची सरकारी जमीन भी खत्म हो जाएगी.

प्रशासन की चुप्पी का खामियाजा भुगत रही जनता

मानवाधिकार फाउंडेशन पिछले कई वर्षों से वसई-विरार में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण के साथ ही अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई के लिए राजस्व और मनपा प्रशासन से शिकायत कर रहा है, लेकिन कार्रवाई के बजाय राजस्व विभाग और मनपा प्रशासन एक-दूसरे पर उंगली उठा रहे हैं. मानवाधिकार फाउंडेशन अध्यक्ष नरेन्द्र बाईत ने आशंका व्यक्त करते हुए बताया है कि ऐसे हालात में प्रशासन की चुप्पी का खामियाजा सामान्य जनता को भुगतना पड़ेगा.

मनपा ने तहसीलदार को दिया था 3 रिमाइंडर

वसई-विरार मनपा के अचोले प्रभाग ने इस भूमि पर  2 अवैध इमारतों पर कार्रवाई को लेकर तहसीलदार को 3 रिमाइंडर पत्र भेजे थे. पत्र में तत्काल कार्रवाई के लिए कहा गया था. अचोले प्रभाग ने 19 जुलाई 2016 को राजस्व और वन विभाग को एक पत्र लिखा था, जिसमें उक्त स्थान पर हो रहे अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई का निवेदन किया था. मनपा ने 1 अगस्त, 2017 को तहसीलदार को पहला पत्र, 8 अप्रैल, 2019 को दूसरा और 20 अगस्त, 2019 को तीसरा पत्र दिया था, लेकिन राजस्व विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की.

जानबूझकर होती है टाल-मटोल

मानवाधिकार फाउंडेशन अध्यक्ष नरेंद्र बाईत ने कहा कि भू-माफिया द्वारा सरकारी भूमि पर निर्विरोध अवैध निर्माण किए जा रहे हैं, जिसके लिए जिम्मेदार तहसीलदार और प्रांताधिकारी हैं क्योंकि शिकायतों को जानबूझकर टाला जाता है. जब तक ये अधिकारी कुंभकर्णी नींद से जागते हैं, तब तक आम आदमी तबाह हो जाता है. मनपा से मिले 3 रिमाइंडर पत्र के बावजूद राजस्व विभाग को कार्रवाई के लिए 4 वर्ष तक इंतजार करना पड़ा. यह उसका प्रत्यक्ष उदाहरण है.