डर पर भारी है पेट की भूख, मजदूरों की हो रही परदेश वापसी

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  • मुंबई मेट्रो सहित कई प्रोजेक्ट पर काम शुरू

मुंबई. कहावत है,कि “डर के आगे जीत है.” कोरोना संक्रमण में अब मजदूरों के डर पर पेट की भूख भारी पड़ने लगी है. महामारी के चलते मुंबई में लॉकडाउन शुरू होते ही बड़ी संख्या में अपने गांवों पलायन कर गए प्रवासी मजदूरों की वापसी होने लगी है.देश में कोरोना का सबसे अधिक असर मुंबई और उपनगरों पर ही पड़ा है,इसके बावजूद परदेशी श्रमिक वापस अपने काम पर आने लगे हैं. अनलॉक की घोषणा के बाद मुंबई-ठाणे एवं उपनगरों के रियल इस्टेट सेक्टर में काम की शुरुआत हुई है.

ट्रेनों में बढ़ी है भीड़

यूपी, बिहार, झारखंड, उड़ीसा आदि राज्यों से मुंबई की ओर आने वाली गाड़ियों में अब भीड़ बढ़ रही है. इन प्रवासी मजदूरों की बदौलत लॉकडाउन में भी एमएमआरडीए के मेट्रो, एमटीएचएल सहित अन्य बड़े प्रोजेक्ट का काम जारी है. एमएमआरडीए और अन्य प्रोजेक्ट में कार्यरत प्रवासी मजदूरों को देख, गांव गए मजदूर अब वापस होने लगे हैं.वैसे इस सीजन में ट्रेनों में भीड़ काफी कम हो जाती है,लेकिन पेट के लिए परदेश की राह पकड़ रहे मजदूरों की वजह से ट्रेनों में भीड़ बढ़ी है.

सुविधाएं उपलब्ध कराने का सख्त निर्देश 

एमएमआरडीए के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार प्राधिकरण के विभिन्न प्रोजेक्ट्स में 28 से 30 हजार मजदूर काम कर रहे हैं.एक ठेकेदार ने बताया कि दहिसर पूर्व-अंधेरी पूर्व मेट्रो-7 लाइन परियोजना के काम को पूरा करने के लिए हजारों श्रमिकों को वापस लाया गया है. घाटकोपर-ठाणे मेट्रो, ठाणे-भिवंडी-कल्याण मेट्रो का काम भी चल रहा है. एमएमआरडीए आयुक्त आर.ए. राजीव ने मेट्रो के काम में लगे सभी प्रवासी श्रमिकों को उचित आवास व्यवस्था, भोजन, दवाई, सुरक्षा आदि जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने का सख्त निर्देश दिया है.

मजदूरों,सुपरवाइजर को प्लेन का टिकट देकर बुलाया गया 

एमएमआरडीए के मेट्रो रेल और अन्य प्रोजेक्ट का लगभग 300 किमी का काम शुरू है. श्रमिकों के एक ठेकेदार ने कहा कि गांव गए श्रमिक वापस आ रहे हैं, क्योंकि उन्हें रोजगार की जरूरत है. साथ ही सभी दिशा-निर्देशों के अनुरूप जरूरत के अनुसार उनके पृथकवास का भी प्रबंध किया गया है. कुशल मजदूरों को ट्रेन और जहाज का टिकट दिया जा रहा है. इस समय मुंबई की ओर आने वाली ट्रेनों में वेटिंग हैं. कन्फर्म टिकट पाने के लिए मारामारी हो रही है.कई बड़े विकासकों की साइट पर भी अब काम शुरू हो गया है. रौनक ग्रुप के राजन बांदेलकर ने बताया कि अब धीरे-धीरे अनलॉक में प्रवासी मजदूर वापस आ रहे हैं.कुशल मजदूरों,सुपरवाइजर को प्लेन का टिकट देकर बुलाया गया है.

गांव में भी रोजगार नहीं 

कोरोना संक्रमण में लॉकडाउन में पैदल ही अपने परिवार के साथ मध्य प्रदेश के रीवां स्थित अपने गांव गए रमेश कुशवाहा अब लौट कर मेट्रो के काम में लग गए हैं. रमेश ने कहा कि कोई भी डर पेट की भूख से बड़ा नहीं है.यहां सुरक्षा के सारे उपाय हैं और परिवार का पेट पालना है.गांव में भी रोजगार नहीं है.एमसीएचआई के ठाणे यूनिट के अध्यक्ष अजय आशर के अनुसार ईद और रक्षाबंधन के बाद बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर मुंबई का रुख करेंगे. मजदूरों की हर तरह से सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा रही है.