अधूरा काम छोड़ गया ठेकेदार, जम्बूदीपनगर नाला को बना दिया मजाक

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नागपुर. पिछले लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के पूर्व दक्षिण नागपुर के जम्बूदीपनगर नाला की सफाई, गहरीकरण व चौड़ाईकरण के 13 करोड़ रुपये के कार्य का तात्कालीन विधायक सुधाकर कोहले ने पूर्व पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले के हाथों जोरशोर से भूमिपूजन करवाया था. करीब डेढ वर्ष बीत गए लेकिन कार्य आधा-अधूरा छोड़कर ठेकेदार महीनों से गायब हो गया है. यह नाला महालक्ष्मीनगर-2 में एक निजी प्लाट से गुजरता था.

उस प्लाटधारक ने अदालत के फैसले के बाद अपनी जमीन में गुजर रहे नाले को मलबा डालकर पाट दिया. जिसके बाद नाले की दिशा बदल कर गलियों की खुदाई कर उसे करीब 200 मीटर अंडरग्राउंड बनाया गया है. लेकिन जहां से इस नाले को मोड़ा गया है वहां का हिस्सा अब तक ओपन है. इस अब तक पैक नहीं किया गया है. कोई इस गहरे गड्डे में गिर ना जाए इसलिए ठेकेदार ने चारों ओर से टिन घेर दिया लेकिन अब एक ओर से टिन भी गिर गए हैं. जानवरों व बच्चों के गिरने का खतरा बढ़ गया है. नागरिकों की समझ में यह नहीं आ रहा है कि आखिर महीनों से ठेकेदार यह काम छोड़कर कहां गायब हो गया. इतना ही नहीं निरीक्षण करने वाले मनपा के इंजीनयर भी इस ओर क्यों ध्यान नहीं दे रहे हैं.

रोड ही हो गया बंद

जिस रोड पर यह नाला मोड़ा गया है वह टी-प्वाइंट है. यहां से रोड दाये-बायें दोनो ओर से आगे की दिशा में जाती है. इस अधूरे छोड़े गए कार्य के कारण महीनों से लोगों को आने-जाने में परेशानी हो रही है. फोरव्हीलर तो यहां से गुजर ही नहीं पा रहे हैं. नागरिकों को दूसरी गलियों से घूमकर आना-जाना पड़ता है. यहां से होकर बच्चे पीछे बने एनआईटी के गार्डन की ओर स्थित समाजभवन मैदान में खेलने जाते हैं. छोटे-छोटे बच्चे उत्सुकतावश इस खुले व गहरे नाले के हिस्से पर झांकते हैं. ऐसे में कोई गिर गया तो गंभीर दुर्घटना हो सकती है. मनपा के संबंधित विभाग के अधिकारी भी लगता है इस नाले को आधा-अधूरा छोड़कर भूल गए हैं.

जनप्रतिनिधियों को चिंता नहीं

जम्बूदीपनगर नाला अयोध्यानगर, महालक्ष्मीनगर आदि बस्तियों से होकर गुजरता है. बारिश में ओवरफ्लो होने से लोगों के घरों में पानी घुसता था जिसके चलते 13 करोड़ की निधि मंजूर की गई थी. सफाई, गहरीकरण के साथ ही नाले के खुले हिस्से पर स्लैब डालने की जानकारी नागरिकों को तात्कालीन विधायक ने चुनावी सभाओं के दौरान दी थी. मगर महालक्ष्मीनगर-2 वाले हिस्से में नाले के खुले हिस्से पर स्लैब अब तक नहीं डाला गया है. अगर इस हिस्से में स्लैब डाला गया तो नाले की दूसरी हो की गलियों से इधर की गलियां भी जुड़ जाएंगी और लोगों के आवागमन की सुविधा मिलेगी. बारिश के पानी के ओवरफ्लो होकर घरों में व गलियों में भरने की मुसीबत से भी छुटकारा मिल जाएगा. नागरिकों की यह समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर 13 करोड़ रुपये कहां गए. 

गट्टू तक नहीं लगाया

जहां से नाले को मोड़कर स्लैब वाला बनाया गया है, वहां ठेकेदार ने जो गलियां इस दायरे में आई हैं वहीं उतार-चढ़ाव के लिए गट्टू तक नहीं लगाए हैं. लोगों ने खुद ही मिट्टी-मलबा डालकर ढलान बना लिया है ताकि वाहन आना-जाना कर सकें. इसी तरह आगे राहुल किराना के पास से नाला टर्न हुआ है, यहां भी डामर रोड से नाले का स्लैब ऊंचा हो गया है. ठेकेदार ने यहां भी स्लैब और डामर रोड को नहीं मिलाया है जिससे वाहनों को आने-जाने में दिक्कतें होती हैं. ठेकेदार बिना गट्टू लगाए और आधा-अधूरा काम छोड़कर गायब है. यहां के नगरसेविका को भी इसकी चिंता नहीं है. नागरिकों की शिकायत के बाद भी नगरसेविका ध्यान नहीं दे रही है. नागरिकों में अब रोष देखा जा रहा है.