गढ़ मंदिर: अतिक्रमण और अवैध निर्माण से सराबोर, अदालत मित्र ने हाई कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट

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    नागपुर. रामटेक गढ़ मंदिर की अव्यवस्था, यहां फैले अतिक्रमण और भक्तों को होनेवाली परेशानियों को लेकर समाचार पत्रों में छपी खबरों पर स्वयं संज्ञान लेते हुए तथा सामाजिक कार्यकर्ता अमित खोत द्वारा दायर जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई के दौरान अदालत द्वारा दिए गए आदेशों के अनुसार अदालत मित्र आनंद जायसवाल की ओर से वर्तमान स्थिति को लेकर रिपोर्ट प्रेषित की गई.

    रिपोर्ट में पुरातनकाल मंदिर का पूरा परिसर अतिक्रमण और अवैध निर्माण से सराबोर होने तथा तुरंत प्रभाव से इसका निराकरण करने की आवश्यकता का सुझाव दिया गया. याचिका पर जवाब दायर करने के लिए नगर परिषद की ओर से पैरवी कर रहे अधि. महेश धात्रक ने जवाब दायर करने के लिए समय की मांग की. जिसके बाद न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश अनिल किल्लोर ने 2 सप्ताह का समय देकर सुनवाई स्थगित कर दी. खोत की ओर से अधि. योगेश मंडपे ने पैरवी की. 

    मंदिर संरक्षक और पुजारियों को स्थानांतरित करना जरूरी

    अदालत मित्र की ओर से सौंपी गई रिपोर्ट में बताया गया कि रामटेक गढ़ मंदिर में प्रवेश के लिए पुरातन 4 भव्य प्रवेश द्वार है. वराहा गेट, सिरपुर गेट, भैरव गेट और गोकुल गेट बने हुए हैं. लेकिन इनकी जर्जर अवस्था हो रही है. जिससे तुरंत प्रभाव से इनके संरक्षण का काम करना जरूरी है. इसके अलावा गोकुल गेट पर ही संरक्षक देवदत्त गोडे ने कार्यालय और बुक स्टॉल शुरू कर दिया है.

    जिससे राम मंदिर की भव्यता पर असर पड़ रहा है. इसी तरह मंदिर में पूजा पाठ करने के उद्देश्य से पुजारी है. इन पुजारियों ने मंदिर परिसर में ही आवास के लिए अवैध निर्माण कर लिया है. जिन्हें सिरपुर गेट और भैरव गेट की ओर स्थानांतरित किए जाने से मंदिर परिसर की पुरानी वैभवता वापस लाई जा सकती है. 

    अतिक्रमण हटाने के आदेश का पालन नहीं

    • अदालत मित्र ने रिपोर्ट में बताया कि पूरे मंदिर परिसर में अतिक्रमण का बोलबाल है. गत समय इस संदर्भ में ध्यानाकर्षित करने पर हाई कोर्ट की ओर से अतिक्रमण हटाने के आदेश जारी किए गए थे. किंतु इस आदेश का पालन नहीं किया गया. जिससे अभी भी अतिक्रमण ज्यों के त्यों बने हुए हैं. 
    • मंदिर में पेयजल की व्यवस्था तथा मंदिर का नियमित रखरखाव जरूरी होने का उल्लेख भी रिपोर्ट में किया गया. 
    • अदालत मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद जायसवाल का मानना था कि जिस तरह से रामटेक गढ़ मंदिर का महत्व है. उसी तरह यहां स्थित चंद्रगुप्त मौर्य कालीन नरसिम्हा मंदिर का भी ऐतिहासिक महत्व है. 
    • गढ़ मंदिर के साथ ही इसके पुनरुद्धार की भी आवश्यकता है. चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में महाकवि कालीदास भी थे. मौर्य परिवार का रामटेक गढ़ मंदिर पर आना-जाना रहता था. उन्हीं के कार्यकाल में नरसिम्हा मंदिर बनाया गया. कालीदास ने यहीं बैठकर मेघदूतम की रचना की थी.