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    • 10 घरों पर प्रायोगिक तौर पर लगाया ‘क्यूआर कोड’

    नागपुर. कचरा संकलन सुनिश्चित करने के लिए शहर को 5-5 जोन में विभाजित कर मनपा ने 2 अलग-अलग कम्पनियों की नियुक्ति की. कम्पनियों के साथ हुए एग्रीमेंट के अनुसार कचरा संकलन करने वाले वाहनों पर जीपीएस सिस्टम लगाकर इसका सटीक संचालन करना था. दावों के अनुसार वाहनों पर जीपीएस तो लगाया गया किंतु आलम यह है कि जनता के अलावा पार्षदों की ओर से भी कचरा संकलन को लेकर कड़ी आपत्ति है. यहां तक कि कई बार कचरा संकलन के नाम पर वाहनों में मिट्टी आदि भरे जाने के मामले उजागर किए गए. कचरा संकलन का ठेका देते समय अधिकारियों और पदाधिकारियों की ओर से शहर कचरामुक्त होने का डंका पीटा गया किंतु हकीकत में यह नहीं हो पाया. अब कचरा संकलन करते समय घरों पर लगे क्यूआर कोड को स्कैन करने के साथ ही  वजन करने के बाद संकलन होने की नई योजना शुरू की गई है. प्रायोगिक तौर पर धरमपेठ जोन में 10 घरों पर क्यूआर कोड लगाया गया. 

    ‘स्मार्ट वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम’ दिया है नाम 

    स्मार्ट सिटी की ओर से कोई भी प्रकल्प शुरू करते समय संबंधित विषय को ‘स्मार्ट’ नाम देने की प्रक्रिया पहले से ही अपनाई जा रही है. लोगों को आकर्षित करने के लिए अब इसे भी ‘स्मार्ट वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम’ का नाम दिया गया है. इस योजना को लेकर भी अधिकारी और पदाधिकारियों का दावा है कि लोगों के घरों से कचरा संकलन हो रहा है या नहीं, इसकी परिपूर्ण जानकारी मिलेगी. साथ ही इसे लेकर आ रही लगातार शिकायतों पर भी अंकुश लग सकेगा. प्रायोगिक तौर पर अमरावती रोड स्थित मरारटोली और पी एंड टी कॉलोनी में क्यूआर कोड लगाया गया है. 

    नई कम्पनी, नया काम

    -उल्लेखनीय है कि कचरा संकलन करने के लिए मनपा की ओर से 2 कम्पनियों की नियुक्ति की गई है. अब क्यूआर कोड लगाने के लिए नई कम्पनी की नियुक्ति की गई. 

    -बग्स फ्री सोल्यूशन नामक कम्पनी की ओर से शहर के प्रत्येक घर पर क्यूआर कोड लगाया जाना है. जानकारों के अनुसार शहर में 6.50 लाख सम्पत्तियां हैं. इतने घरों पर कब तक क्यूआर कोड लगाया जाएगा. इसका अनुमान लगाना मुश्किल है. 

    -इसके पूर्व भी सम्पत्तियों के पुनर्मूल्यांकन को लेकर एक कम्पनी की नियुक्ति की गई. आलम यह रहा कि कम्पनी के लिए निर्धारित समय में पुनर्मूल्यांकन नहीं किया गया. कई बार कम्पनी को अधिक समय देना पड़ा. 

    राज्य की पहली मनपा

    स्वच्छता दूत द्वारा समय पर कचरा संकलन नहीं होने की शिकायत पार्षदों और लोगों की थी. उनका समय भी निश्चित नहीं होता है. स्मार्ट वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम में मनपा के सहयोग से शिकायतों का निपटारा कर पाना संभव हो सकेगा. कचरा संकलन करने वाले स्वच्छता दूत जिस घर से कचरा लेंगे उसका घर क्रमांक, सम्पत्तिधारक का नाम अधिकारियों को प्राप्त होगा. राज्य की पहली महानगरपालिका है जो यह अभिनव प्रयोग करने जा रही है. प्रायोगिक तौर पर यदि यह सफल रहा तो पूरे शहर में लागू करेंगे.

    -दयाशंकर तिवारी, महापौर.