Special train from Ahmedabad carrying about 1000 passengers left for Delhi
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    नागपुर. कोरोना संक्रमण का दूसरा स्ट्रेन अब और भी घातक होता जा रहा है. राज्य में पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई है. जिससे एक दिन पहले मजदूर जितनी जल्दी हो सके अपने घर वापस लौटने लगे हैं. मजदूरों के पास अब सिर्फ ट्रेन का ही सहारा बच गया है. एसटी की बसें अब इंटरस्टेट नहीं चल रही हैं. प्राइवेट बसों में भी कटौती की गई है. जिसकी वजह से रेलवे स्टेशन पर ही मजदूरों की भीड़ जमा हो रही हैं. मजदूर अपने सभी सामान लेकर लौट रहे हैं.

    लॉकडाउन की बढ़ती तारीख ने मजदूरों का सब्र तोड़ दिया है. मंगलवार को रेलवे स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार कर रहे 50 से ज्यादा मजदूरों ने अपनी आपबीती बताई. मजदूरों का कहना है कि प्रदेश में पता नहीं कब कोरोना संक्रमण ठीक होगा. लॉकडाउन लगातार बढ़ता ही जा रहा है. संक्रमण के साथ मौत के आंकड़े भी बढ़ रहे हैं. ऐसे में कारखाने और कंपनियां कब खुलेगी इसकी कोई गारंटी नहीं है. ऐसे में अगर यहां बैठे रहे तो या तो कोरोना से मौत हो जाएगी या भूख से. इसलिए जाना ही एक मात्रा रास्ता है.

    लॉकडाउन की आहट से बढ़ी भीड़

    देर शाम को राज्य में पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा के बाद देर रात तक मजदूरों और अन्य प्रवासियों के जाने का सिलसिला तेज हो गया. जिसको जो साधन मिला वह उसमें होकर निकल गया. प्राइवेट बसों में भी भीड़ नजर आई. वहीं, प्राइवेट टैक्सी में जाने वाले यात्री भी देर शाम से ही नजर आने लगे. संपूर्ण लॉकडाउन के बाद से राज्य में कड़ाई और बढ़ जाएगी. इससे पहले मजदूर अपने घर लौटने की जुगत में नजर आए.

    सोशल डिस्टेंसिंग का हो पालन

    रेलवे स्टेशन पर बढ़ रही मजूदरों की संख्या आने वाले दिनों में और भी चिंताजनक हो सकती है. जिस तरह राज्यों में लॉकडाउन लग रहा है उससे मजदूर किसी भी हाल में घर लौट रहे हैं. ऐसे में प्लेटफार्म और ट्रेन के अंदर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन सही तरीके से हो इसे सुनिश्चित करना चाहिए. ताकि मजदूरों के स्वास्थ्य पर कोई असर न पड़े. रेलवे स्टेशन के बाहर जिस तरह मजदूर ग्रुप बनाकर खड़े हैं उसे रोकने वाला भी कोई नहीं है. ऐसे में ये मजदूर अपने गांव जाकर भी संक्रमण फैला सकते हैं.