गौसे-ए-आजम की 11वीं शरीफ मनी

  • बड़ी दरगाह में जलाए 1100 दीप

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पुराना नाशिक. इस्लाम धर्म में प्रतिष्ठित व्यक्तित्व पिरे पिरां मिरे मीरां हुजूर गौसे-ए-आजम शेख अब्दुल कादिर जिलानी (रहेमतुल्लाह अलैह) की स्मृति में 11वीं शरीफ शुक्रवार को मनाई गई. इन दिनों कोरोना की दूसरी लहर के डर को ध्यान में रखते हुए इस साल जुलूस-ए-गौसिया निकालने की परंपरा को स्थगित कर दिया गया. खतीबे नाशिक के मार्गदर्शन में प्रशासन का सहकार्य करते हुए नाशिक के मुस्लिम बंधुओं ने एक मत से यह जुलूस ना निकालने का निर्णय लिया.

गुरुवार की शाम से ही 11वीं शरीफ के अवसर पर विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों की शुरुआत की गई. घरों में ही विशेष मीठा मलीदा बना कर उस पर पवित्र कुरान शरीफ पढ़ कर फातेहा किया गया. पुराना नाशिक इलाके में मुस्लिम बहुल मोहल्लों चौक मंडई, बागवानपूरा, कथडा, नानावली, नाईकवाड़ीपुरा, आदमशाह, काझीपुरा, मुल्तान्पुरा, कोकणीपुरा, शहीद अब्दुल हमीद चौक, हुसैनी चौक, पिंजारघाट और विशेषकर बड़ी दरगाह शरीफ की मस्जिद और दरगाह के साथ दुकानों और घरों में रोशनाई की गई. 

बच्चों ने दीप जलाए

बड़ी दरगाह शरीफ में 1100 दीप जलाकर चरागां करके हुजूर गौसे आजम का स्मृतिदिन मनाया गया. दरगाह परिसर में बच्चों ने दीप जलाए. शहर की सभी मस्जिदों में रंग बिरंगी लाइटें लगाकर खुशियां व्यक्त की गईं. नमाज के बाद ‘तोशेपाक’पर फातेहा पढ़ा गया. खडकाली मस्जिद में हुजूर गौसे आजम शेख अब्दुल कादिर जिलानी (रहेमतुल्लाह अलैह) और इमामे आजम के रौज़े का गिलाफा (चादर) दर्शन के लिए रखा गया था.