नाशिक. स्थानीय निकाय चुनावों (Local Body Elections) के लिए कम से कम 70 प्रतिशत टीकाकरण (Vaccination) की शर्त रखे जाने पर नाशिक महानगरपालिका (Nashik Municipal Corporation) और जिला परिषद सदस्यों (Zilla Parishad members) का भविष्य अब खतरे में है। ऐसे में अब शहर और जिले में टीकाकरण की रफ्तार बढ़ने की संभावना है। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को अच्छी फटकार लगाई थी और चुनाव आयोग के कामकाज पर नाराजगी भी जताई थी।
इसलिए, महाराष्ट्र में आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में बहुत सावधानी से कदम उठाए जा रहे हैं। अब स्थानीय निकाय चुनावों से पहले टीकाकरण पर जोर दिया जा रहा है क्योंकि, यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कम से कम 70 प्रतिशत टीकाकरण किया जाए। कोरोना महामारी के कारण पहले भी कुछ महानगरपालिका चुनाव नहीं हुए हैं। राज्य में फरवरी में दस महानगरपालिका चुनाव होंगे। उस दृष्टिकोण के अनुसार चुनावों की तैयारी चल रही है। हालांकि, चुनाव आयोग की ओर से अभी तक कोई स्पष्टीकरण नहीं मिला है, इसलिए अब प्रशासन भी शांतिपूर्वक तैयारी कर रहा है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका के मद्देनजर टीकाकरण की दृष्टि से कदम उठाए जा रहे हैं।
प्रशासन अब टीकाकरण पर जोर दे रहा है क्योंकि, यह संभावना है कि चुनाव आयोग इसे तब तक अनुमति नहीं देगा जब तक कि 70 प्रतिशत या उससे अधिक का टीकाकरण नहीं हो जाये। महानगरपालिका क्षेत्र में टीकाकरण के लिए नागरिकों की भीड़ बढ़ती जा रही है लेकिन खुराक उपलब्ध ना होने से लोगों को कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। टीको के लिए यदि आर्थिक सहायता की आवश्यकता हो तो पार्षदों की निधी से खर्च करने की योजना पर अधिक से अधिक पार्षद इस काम के लिए आऐंगे और अधिक से अधिक नागरिकों को टीकाकरण करना संभव होगा, ऐसी मांग काँग्रेस की पार्षद विमल पाटिल ने की है।