Three arrested, including two nurses, on charges of black marketing of Remdesivir in Madhya Pradesh
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    नाशिक. कोरोना संक्रमित मरीजों (Corona Infected Patients) को रेमडेसिविर इंजेक्शन मिले, इसलिए परिजन हरसंभव प्रयास कर रहे थे, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के रेमडेसिविर इंजेक्शन (Remdesivir Injection ) को कोरोना मरीज के उपचार की सूची से हटाने के बाद उसका महत्व खत्म हो गया है। जिले में कम हो रही मरीजों की संख्या के चलते इंजेक्शन का उपयोग कम होने से जिले में 10 हजार इंजेक्शनों का स्टॉक हो गया है।

    बता दें कि कोरोना मरीजों के उपचार में शुरुआत में रेमडेसिविर की महत्वपूर्ण भूमिका रही। मांग अधिक और आपूर्ति कम, ऐसी स्थिति शहर सहित जिले में रही। मरीजों के लिए इंजेक्शन का एक डोज मिलना मुश्किल होने से परिजन परेशान हो गए थे। कुछ ने तो आंदोलन भी किया। इंजेक्शन लाने की जिम्मेदारी परिजनों की है, ऐसा पत्र भी निजी अस्पताल प्रशासन ने परिजनों से लिया। इसके बाद जिला प्रशासन ने इंजेक्शन का वितरण अपने हाथों में लिया।

    45,000 से 15,000 तक पहुंची मरीजों की संख्या

    इस बीच, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना मरीज उपचार की सूची से इंजेक्शन को हटा दिया। इसके बाद इस इंजेक्शन का महत्व ही कम हो गया है। इस दौरान जिले में पिछले कुछ दिनों से मरीजों की संख्या कम होने से इंजेक्शन की मांग भी कम हो गई है। साथ ही सामने आ रहे मरीज कोविड अस्पताल के बजाय कोविड केयर सेंटर में उपचार ले रहे हैं। सक्रिय मरीजों की संख्या 45 हजार से 15 हजार तक पहुंच गई है। परिणामस्वरूप इंजेक्शन की मांग न के बराबर है। औषधि निर्माण कंपनियों ने इंजेक्शन की आपूर्ति बढ़ाने के बाद मांग कम हो गई है इसलिए जिले में 10 हजार इंजेक्शन उपलब्ध है।