जैविक मित्र कीट किसानों के बने साथी

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  • जैविक प्रणाली से टाला जा सकता है नुकसान
  • अतिरिक्त आमदनी का बना जरिया

साक्री. खेती में एक ओर बढ़ते रासायनिक खाद और कीट नाशक दवाइयों का चलन बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर रसायनों के बढ़ते दुष्परिणाम भी सामने आ रहे हैं. खेती में फसल बर्बाद करनेवाले  कीड़ों की समस्याओं से किसान भी परेशान हैं. उक्त समस्या को  जैविक समाधान से मात दी जा सकती है और ये प्राकृतिक होने के साथ दुष्प्रभावी भी नहीं है. सरकार भी खेती में जैविक समाधान की सिफारिश करती है. इसी का सहारा लेते हुए शहर के निवासी आरिफ शेख ने जैविक मित्र कीट का पालन और उक्त कीटों के कार्ड किसानों को बेचकर विगत वर्ष अच्छी खासी आमदनी भी कर ली. आरिफ शेख पेशे से शिक्षक हैं. मित्र कीट का आहार ही फसल बर्बाद करनेवाले कीड़ों के अंडे होते हैं. जिसके चलते  नुकसान करनेवाले कीट पनप नहीं सकते.

जैविक क्षेत्र में कैरियर तलाशना चुनौती

ये प्रयोग काफी कारगर सिद्ध हुआ है, किसान इसे पसंद भी कर रहे हैं. किंतु अभी भी जैविक उपायों का अपनी खेती में इस्तेमाल करनेवाले किसानों की संख्या कम है और मित्र कीट के निर्माताओं को आवश्यक समर्थन की भी कमी होने के परिणामस्वरूप  इस क्षेत्र में करियर खोजना किसी चुनौती से कम नहीं है. आरिफ शेख तहसील के ग्राम निजामपुर में शिक्षक हैं. कृषि विज्ञान और प्रोद्यौगिकी मैनेजमेंट  यंत्रणा (आत्मा) संस्थान द्वारा ग्रामीण युवकों को कौशल विकास तथा रोजगार हेतु प्रशिक्षण  चलाया जाता है. उक्त प्रशिक्षण में हिस्सा लेकर जैविक मित्र कीट द्वारा नुकसान कीड़ों के नियंत्रण हेतु प्रयोगशाला (नेचुरल बायो एजंट बायो कंट्रोल लैब) तैयार की.

मित्र कीट कीड़ों के खा जाते हैं अंड़े

अपने लैब में ट्राइकोग्रामा  इस मित्र कीट के चार प्रजातियों का प्रजनन, पालन और निर्माण किया. उसमें उनको सफलता मिली. ट्राइकोग्रामा के चिलौनीस,जपैनिकम, बैक्ट्री और पीटीओंसैम ऐसी 4 प्रजातियां प्राप्त कीं. जिनका लाभ विभिन्न फसलों के विभिन्न नुकसानी  कीड़ो के खिलाफ किया जाता है. आरिफ शेख ने कोटसेरा पतंग (मॉथ) का प्रजनन पहले किया. उक्त पतंगों की पैदाइश के पश्चात इस कीट से हजारों की संख्या में अंडे प्राप्त किए जाते हैं. जिसे ट्राइकोकार्ड  कहा जाता है.जिन्हें मित्र कीटों के प्रसार हेतु खेतों में लगाया जाता है. गन्ने पर लगने वाले कीड़ों के आक्रमण, फसल को बर्बाद कर देता है,  जैसे कपास, बैंगन, टमाटर, चावल आदि फसलों पर कीड़े आक्रमण करते हैं. फसल के फलों को इल्ली घुसकर नष्ट कर देती है. इल्ली के पैदा होने के पहले ही अंडों को मित्र कीट खा जाता है. जिसके चलते नुकसान करने वाले कीड़े पनप ही नहीं सकते और  फसल के नुकसान का खतरा टल जाता है.

खर्च भी कम और दुष्प्रभाव नहीं

आरिफ शेख बताते हैं  कि रासायनिक कीट नियंत्रक दवाइयों पर  होनेवाले खर्च के मुकाबले काफी कम है. दुष्प्रभाव से मुक्त है, और पर्यावरण-स्नेही भी है. जिन किसानों ने इन्हें आजमाया उनको इसका लाभ भी मिला. यही नहीं आरिफ शेख ने इस विधा में महारत हासिल की है. जलगांव के कृषि कमिश्नर, लूपिन (दवा निर्माता) फाउंडेशन, लाभ मिले हुए कई किसानों ने तथा संस्थाओं ने आरिफ शेख को नगद पुरस्कार दिए हैं.

जैविक लैब में जुटा पूरा परिवार

नासिअपने इस छोटे से प्रयासों के चलते उनका पूरा परिवार अब जैविक लैब में काम करता है और तकनीकी जानकारी भी रखता है. उनके उक्त काम से कई अकुशल मजदूरों को रोजगार भी उपलब्ध हुआ और कौशल भी. लॉक डाउन काल में कुछ परेशानी आई, क्योंकि मजदूर नहीं मिले.परंतु विगत वर्ष इसी जैविक साधनों के निर्माण से 8 से 10 लाख की अतिरिक्त आमदनी वे कर पाए थे.