भ्रष्टाचार के खिलाफ भ्रष्टाचारी ही दे सकता है अच्छा भाषण

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पड़ोसी ने हमसे कहा,‘‘निशानेबाज (Nishanebaaz), कितनी हैरत की बात है कि अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस (International Anti-Corruption Day) पर भ्रष्टाचार के खिलाफ धुंआधार भाषण देने वाले राजस्थान के एक डीएसपी भैरूलाल मीणा (Bherulal Meena) को सिर्फ 1 घंटे बाद ही रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ लिया गया. लोगों की कथनी और करनी में कितना अंतर है! यह घटना तो ‘पर उपदेश कुशल बहुतेरे’ कहावत की जीती जागती मिसाल है. भ्रष्टाचार के खिलाफ भाषण देने वाला खुद ही भ्रष्टाचारी निकला.’’ हमने कहा, ‘‘भाषण देना भी एक कला है. कितने ही लोगों के हाथ-पैर माइक के सामने जाते ही कांपने लगते हैं. एक शब्द भी उनके मुंह से नहीं निकलता. भाषण देते समय आत्मविश्वास, सधी हुई आवाज और विषय की पूरी जानकारी होनी चाहिए.

इस डीएसपी को भ्रष्टाचार की तह तक जानकारी थी. वह जानता था कि भ्रष्टाचार कैसे, क्यों और किस तरीके से करना चाहिए. भ्रष्टाचार का उसे सिर्फ अनुभव ही नहीं था, बल्कि उस पर पूरी कमांड भी थी. भ्रष्टाचार के गटर में घुसा हुआ व्यक्ति ही भ्रष्टाचार को भली भांति जानता है. इसलिए उस रिश्वतखोर डीएसपी का भ्रष्टाचार विरोधी भाषण बड़ा ही प्रभावशाली रहा होगा. इसे आप उसका भोगा हुआ यथार्थ या अनुभव की गई सच्चाई कह सकते हैं. अनुभवजन्य सत्य इसे ही कहते हैं. मिसाल के तौर पर अभिनेता संजय दत्त जेल में हुई तकलीफों के बारे में अच्छा लेक्चर दे सकते हैं क्योंकि वे जेल की सजा भुगत चुके हैं. कोई क्रिमिनल ही क्राइम के एक से एक शातिर तरीके बता सकता है. जिसे कुछ मालूम ही नहीं है, वह क्या बताएगा!’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, कितने ही लोग जानते हैं कि धूम्रपान से कैंसर होता है.

वे यह भी जानते हैं कि शराब पीने से लीवर खराब होता है, फिर भी वे इस लत को छोड़ नहीं पाते. उस डीएसपी ने अपने भाषण में बताया होगा कि भ्रष्टाचार देश के लिए कैंसर के समान हानिकारक है. भ्रष्टाचार करने वाला देश और समाज का दुश्मन है. पाप की कमाई कभी पचती नहीं है. भ्रष्टाचारी कितना भी चालाक क्यों न हो, कभी न कभी पकड़ा जाता है. आखिर राजस्थान पुलिस सेवा के एंटी करप्शन ब्यूरो में तैनात इस डीएसपी को खुद एसीबी ने ही जाल में फंसाकर पकड़ लिया. भाषणबाजी करने के 1 घंटे बाद ही वह 80,000 रुपए की रिश्वत लेते पकड़ लिया गया.’’ हमने कहा, ‘‘इसे कहते हैं- दीया तले अंधेरा! दूसरों को ज्ञान बांटने वाला खुद ही फंस गया.’’