बड़ी कठिन लोकतंत्र की राह कहीं बैठे हैं शाह तो कहीं नौकरशाह

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, (Nishanebaaz) राजनीति के लिए शाह और प्रशासन के लिए नौकरशाह बेहद जरूरी हैं. शाह का महत्व पहले भी था और आज भी है इतिहास में नादिरशाह और शेरशाह सूरी मशहूर हुए हैं. हमलावर नादिरशाह ने दिल्ली के शासक मोहम्मदशाह से झूठी दोस्ती जताते हुए पगड़ी बदल ली थी क्योंकि वह जानता था कि मोहम्मदशाह अपनी पगड़ी में कोहिनूर हीरा छुपाए रखता है. नादिरशाह कोहिनूर के अलावा सोने का बना तख्त-ए-ताऊस भी अपने साथ ईरान ले गया था.

    जहां तक शेरशाह सूरी की बात है, उसकी बिहार में हुकूमत थी. उसने ग्रैंड ट्रंक रोड का निर्माण कराया था. इस रोड के दोनों ओर आम और फलों के पेड़ लगवाए थे ताकि उसके सैनिक आम खाते हुए चलें और गुठलियां बो दें. इस तरह शेरशाह की फिलासफी थी- आम के आम और गुठलियों के दाम!’’ हमने कहा, ‘‘इस समय शेरशाह की नहीं, अमित शाह( Amit Shah) की बात कीजिए. वे दावा कर रहे हैं कि चुनाव के बाद बंगाल में बीजेपी की सरकार बनेगी जिसकी सीटें 200 से ज्यादा होंगी.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, यदि बीजेपी इतनी सीटें जीत लेगी तो टीएमसी क्या आलू छीलेगी? कांग्रेस ने भी कह दिया कि यदि ममता (Mamata Banerjee) को कुछ सीटें कम पड़ी तो वह उन्हें सरकार बनाने में सहयोग देगी. बंगाल में बड़े-बड़े ख्वाब देखनेवाली बीजेपी (BJP) पहले असम तो संभाल ले.’’

    हमने कहा, ‘‘अमित शाह को कम मत आंकिए वे बीजेपी के चाणक्य हैं. बेहतर होगा कि आप शाह की बजाय नौकरशाह की चर्चा कीजिए जिनके पास बहुत पावर रहता है. आपको याद दिला दें कि विदेश नीति का श्रेय पं. नेहरू को दिया जाता है लेकिन अंग्रेजों के जमाने से सेक्रेटरी जनरल रह चुके सर गिरजाशंकर वाजपेयी ने फॉरेन पालिसी का ड्राफ्ट तैयार किया था. इसी तरह इंदिरा गांधी की सरकार माखनलाल फोतेदार और आर के धवन जैसे सलाहकार चलाया करते थे. वी पी सिंह की सरकार चलाने के पीछे विनोद पांडे और भूरेलाल जैसे नौकरशाहों का हाथ था. मोदी की सरकार में अजीत डोभाल की खास भूमिका है. नौकरशाहों का हमेशा दबदबा रहा है.’’