32 workers freed from Kerala on the initiative of Chief Minister and Minister, work was being forcib

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    ओमप्रकाश मिश्र

    रांची. एक राज्य (State) के मजदूरों (Labours) को दुसरे राज्यों में बंधक (Hostage) बनाकर मजदूरी कराने के कई मामले सामने आरहे है। इसी क्रम में झारखंड के दुमका जिले से मजदूरों और बच्चों को केरल में बंधक बनाकर उनसे जबरन कम लेने और उत्पीड़ित करने का मामला भी सामने आया है। झारखंड  के मुख्यमंत्री (Jharkhand Chief Minister) हेमंत सोरेन (Hemant Soren) और मंत्री चंपई सोरेन (Minister Champai Soren) के संयुक्त प्रयास से केरल में फसे 32 मजदुर और पांच बच्चों को छुड़ाकर वापस झारखंड लाया गया। 

    छुड़ाकर लाये गए मजदूरों में दुमका की महिला श्रमिक अनिता मरांडी खुश है। कहती है, हम केरल में बहुत तकलीफ में थे। हमारा आधार कार्ड ले लिया गया था और सताया जा रहा था। अब वहां से मुक्त होकर काफी अच्छा लग रहा है। अब काम करने अपने राज्य से बाहर दोबारा कभी नहीं जायेंगे। अनिता की तरह दुमका के 31 अन्य श्रमिक और उनके पांच बच्चे खुश हैं। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन और मंत्री चंपई सोरेन की पहल पर इन्हें घुटन भरी जिंदगी से मुक्ति मिल गई है। श्रम विभाग के राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष और फिया फाउंडेशन की संयुक्त पहल पर झारखंड के 32 श्रमिकों और उनके पांच बच्चों को केरल से मुक्त करा लिया गया। सभी15 जुलाई की सुबह 10 बजे धनबाद रेलवे स्टेशन पहुंचे। 

    मुक्त हुए श्रमिक जून 2021 को दुमका से केरल गए थे।केरल पहुंचने पर उन्हें केरल के ईदुक्की (न्यू वुडलैंड्स) स्थित चाय बगान में काम करने के लिए भेजा गया। श्रमिकों को एक छोटे से रूम में रखा गया था। इन श्रमिकों के मूल आधार कार्ड और यात्रा खर्च के नाम पर एक हजार रुपये ले लिए गए। श्रमिकों को इलायची के बगान में काम करने के नाम पर केरल भेजा गया था पर उन्हें जबरन चाय बागान में काम करने को कहा गया। श्रमिकों को प्रति दिन चार सौ रुपये देने की बात कही गयी, लेकिन कठिन भौगोलिक स्थिति के कारण श्रमिक वहां काम करने को तैयार नहीं थे। बावजूद इसके उनसे जबरन काम कराया जा रहा था। काम करने के दौरान ही श्रमिकों को पीरमेड बेथेल प्लांटेशन, इदुक्की में कंपनी की तरफ से स्थानांतरित किया गया। श्रमिकों को कहा गया कि यदि वे वापस जाना चाहते हैं, तो वे यात्रा खर्च में हुए 2,20,000 रुपये देकर अपना आधार कार्ड लेकर जा सकते हैं। इसके अलावा वहां के बस चालक ने भी किराया के रूप में प्रति व्यक्ति 6000 रुपये की मांग की। 

    मामले की जानकारी होने पर मुख्यमंत्री और मंत्री चंपई सोरेन ने राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष को श्रमिकों को मुक्त कराने का आदेश दिया। इसके बाद श्रम विभाग एवं फिया फाउंडेशन की ओर से उन श्रमिकों की वापसी के लिए प्रयास शुरू किए गए। राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से श्रमिकों की स्थिति जानने का प्रयास किया। उनके रहने की जगह का पता चलने के बाद तत्काल उनके लिए भोजन की व्यवस्था की गई। मामले में दुमका उपायुक्त ने भी ईदुक्की के क्लेक्टर से बात कर जिला स्तर पर पदाधिकारी नियुक्त किया। दुमका जिला प्रशासन और राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष की ओर से केरल में टीम गठित कर मामले को सुलझाया गया। ठेकेदार द्वारा जब्त श्रमिकों के आधार कार्ड को पुलिस के सहयोग से वापस कराया गया है। झारखंड  के ही ठेकेदार ने इन श्रमिकों को ठगने का काम किया था।