Rajib Banerjee

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कोलकाता. पश्चिम बंगाल चुनाव (West Bengal Election) को देखते हुए तृणमूल कांग्रेस (TMC) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) दोनों जोरो-शोरों से प्रचार में लगी हुई है। भाजपा इस बार पश्चिम बंगाल में मजबूत दिखाई दे रही हैं। इस चुनाव में टीएमसी के सामने अपना गढ़ बचाने की चुनौती है। चुनाव से पहले ही टीएमसी में दरार पड़ गई है। कई बड़े नेताओं ने टीएमसी से अपना रिश्ता तोड़ा और भाजपा में शामिल हो गए। इस कड़ी में पूर्व कैबिनेट मंत्री राजीब बनर्जी (Rajib Banerjee) ने ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को एक और झटका दिया है। उन्होंने शुक्रवार को विधायक पद (MLA Post) से इस्तीफा दे दिया है।

बता दें कि, राजीब बनर्जी ने इससे पहले 22 जनवरी को ममता सरकार के कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा दिया था। वह राज्य के वन मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।

राजीब बनर्जी ने विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद कहा, “मैंने आज विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। मैं अभी भी पार्टी का सदस्य हूं। लेकिन मैं अभी तक मानसिक रूप से कोई कदम उठाने के लिए तैयार नहीं हूं। मेरा मानना है कि लोगों के लिए अच्छा करना, गतिशील लोकतंत्र में पार्टी की संबद्धता आवश्यक है। मैं आपको आने वाले दिनों में अपने निर्णय के बारे में बताऊंगा।”

राजीव बनर्जी ने विधायक पद से इस्तीफा देने के तुरंत बाद पार्टी भी छोड़ दी है। उन्होंने अपने त्याग पत्र में लिखा, “मैं उन सभी चुनौतियों और अवसरों का आभारी हूं जो मुझे दी गईं और मैं हमेशा पार्टी के सदस्य के रूप में बिताए अपने समय को महत्व दूंगा।”

भाजपा में शामिल होने की संभावना के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “यदि आप लोगों की सेवा करना चाहते हैं तो आपको किसी राजनीतिक दल से जुड़े रहने की जरूरत होती है। लोग हमेशा नेता को किसी दल से जुड़ा देखना चाहते हैं। लेकिन मैंने अब तक भाजपा नेताओं से बातचीत नहीं की है।” हालांकि, उन्होंने यह भी कहा, “आने वाले दिनों में मैं दोमजूर विधानसभा क्षेत्र के लोगों की सेवा करता रहूंगा।” इस बीच, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह 31 जनवरी को बनर्जी के गृह जिले हावड़ा में एक रैली को संबोधित करने वाले हैं।

शुभेंदु अधिकारी और लक्ष्मी रतन शुक्ला के बाद पिछले दो महीने में मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने वाले वह तीसरे मंत्री हैं। तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व बनर्जी से कई दौर की बातचीत कर चुका है। अधिकारी, भाजपा में शामिल हो गए जबकि शुक्ला ने राजनीति से सन्यास लेने की अपनी इच्छा व्यक्त की थी।