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बच्चन का जन्म 27 नवम्बर 1907 को इलाहाबाद में एक कायस्थ परिवार मे हुआ था। इनके पिता का नाम 'प्रताप नारायण श्रीवास्तव' तथा माता का नाम 'सरस्वती देवी' था। इनको बाल्यकाल में 'बच्चन' कहा जाता था जिसका शाब्दिक अर्थ 'बच्चा' या 'संतान' होता है। बाद में ये इसी नाम से मशहूर हुए।
बच्चन का जन्म 27 नवम्बर 1907 को इलाहाबाद में एक कायस्थ परिवार मे हुआ था। इनके पिता का नाम 'प्रताप नारायण श्रीवास्तव' तथा माता का नाम 'सरस्वती देवी' था। इनको बाल्यकाल में 'बच्चन' कहा जाता था जिसका शाब्दिक अर्थ 'बच्चा' या 'संतान' होता है। बाद में ये इसी नाम से मशहूर हुए।
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उन्होंने कायस्थ पाठशाला में पहले उर्दू और फिर हिंदी की शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम॰ए॰ और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य के विख्यात कवि डब्लू॰बी॰ यीट्स की कविताओं पर शोध कर PH.D (पीएच.डी.) पूरी की थी।
उन्होंने कायस्थ पाठशाला में पहले उर्दू और फिर हिंदी की शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम॰ए॰ और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य के विख्यात कवि डब्लू॰बी॰ यीट्स की कविताओं पर शोध कर PH.D (पीएच.डी.) पूरी की थी।
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सन् 1955 में कैम्ब्रिज से लौटने के बाद उनको भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिन्दी विशेषज्ञ के रूप में नियुक्त किया गया। इसके अलावा सन्1966 में वह राज्य सभा के सदस्य के रूप में भी चुने गए।
सन् 1955 में कैम्ब्रिज से लौटने के बाद उनको भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिन्दी विशेषज्ञ के रूप में नियुक्त किया गया। इसके अलावा सन्1966 में वह राज्य सभा के सदस्य के रूप में भी चुने गए।
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1926 में 19 वर्ष की उम्र में उनका विवाह 'श्यामा बच्चन' से हुआ जो उस समय 14 वर्ष की थीं। लेकिन 1936 में श्यामा की टीबी के कारण मृत्यु हो गई। श्यामा की मौत के बाद हरिवंश राय बहुत दुखी रहने लगे। अकेलेपन से दूर होने के लिए वह बरेली में रह रहे अपने दोस्त प्रकाश के पास गए।
1926 में 19 वर्ष की उम्र में उनका विवाह 'श्यामा बच्चन' से हुआ जो उस समय 14 वर्ष की थीं। लेकिन 1936 में श्यामा की टीबी के कारण मृत्यु हो गई। श्यामा की मौत के बाद हरिवंश राय बहुत दुखी रहने लगे। अकेलेपन से दूर होने के लिए वह बरेली में रह रहे अपने दोस्त प्रकाश के पास गए।
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यहां उनकी मुलाकात हुई पंजाबन तेजी सूरी से हुई, जो रंगमंच तथा गायन से जुड़ी हुई थीं। यहीं से हरिवंश राय बच्चन की लव स्टोरी शुरू हुई। 24 जनवरी सन्1942 में हरिवंश राय बच्चन और तेजी बच्चन शादी के बंधन में बंध गए।
यहां उनकी मुलाकात हुई पंजाबन तेजी सूरी से हुई, जो रंगमंच तथा गायन से जुड़ी हुई थीं। यहीं से हरिवंश राय बच्चन की लव स्टोरी शुरू हुई। 24 जनवरी सन्1942 में हरिवंश राय बच्चन और तेजी बच्चन शादी के बंधन में बंध गए।
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कहा जाता है कि श्यामा की मौत और तेजी से शादी, यही दो उनकी जिंदगी के दो महत्तवपूर्ण अंश हैं जिनको उन्होंने अपनी कविताओं में हमेशा जगह दी। इसी समय उन्होंने 'नीड़ का निर्माण फिर' जैसे कविताओं की रचना की।
कहा जाता है कि श्यामा की मौत और तेजी से शादी, यही दो उनकी जिंदगी के दो महत्तवपूर्ण अंश हैं जिनको उन्होंने अपनी कविताओं में हमेशा जगह दी। इसी समय उन्होंने 'नीड़ का निर्माण फिर' जैसे कविताओं की रचना की।
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हरिवंश राय बच्चन ने सन् 1941-1952 तक इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी के प्रवक्ता के रूप में काम किया। इसके साथ-साथ वह आकाशवाणी के इलाहाबाद केंद्र से भी जुड़े रहे। सिर्फ इतना ही नहीं, उन्होंने फिल्मों के लिए भी लिखने का काम किया। अमिताभ के द्वारा अभिनय किया गया एक मशहूर गीत 'रंग बरसे भीगे चुनर वाली रंग बरसे' उन्होंने ही लिखा जिसे खुद उनके बेटे अमिताभ बच्चन ने गाया।
हरिवंश राय बच्चन ने सन् 1941-1952 तक इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी के प्रवक्ता के रूप में काम किया। इसके साथ-साथ वह आकाशवाणी के इलाहाबाद केंद्र से भी जुड़े रहे। सिर्फ इतना ही नहीं, उन्होंने फिल्मों के लिए भी लिखने का काम किया। अमिताभ के द्वारा अभिनय किया गया एक मशहूर गीत 'रंग बरसे भीगे चुनर वाली रंग बरसे' उन्होंने ही लिखा जिसे खुद उनके बेटे अमिताभ बच्चन ने गाया।
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उन्हें  हिन्दी कविता 'दो चट्टानें' के लिए सन 1968 में 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' से नवाजा गया। इसी वर्ष उन्हें 'सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार' तथा एफ्रो एशियाई सम्मेलन के 'कमल पुरस्कार' से भी सम्मानित किया गया। बिड़ला फाउण्डेशन ने उनकी आत्मकथा के लिए उन्हें 'सरस्वती सम्मान' दिया था। बच्चन को भारत सरकार द्वारा 1976 में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया गया था।
उन्हें हिन्दी कविता 'दो चट्टानें' के लिए सन 1968 में 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' से नवाजा गया। इसी वर्ष उन्हें 'सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार' तथा एफ्रो एशियाई सम्मेलन के 'कमल पुरस्कार' से भी सम्मानित किया गया। बिड़ला फाउण्डेशन ने उनकी आत्मकथा के लिए उन्हें 'सरस्वती सम्मान' दिया था। बच्चन को भारत सरकार द्वारा 1976 में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया गया था।
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उनकी आत्मकथा क्या भूलूं क्या याद करूं, नीड़ का निर्माण फिर , बसेरे से दूर और दशद्वार से सोपान तक उनके बहुमूल्य लेखन रहे। हरिवंश राय बच्चन को सबसे बड़ी प्रसिद्धि मिली सन् 1935 में जब उनकी कविता मधुशाला छपि। 18 जनवरी सन् 2003 में मुंबई में जब हरिवंश राय बच्चन की उम्र 95 वर्ष थी तब उनका निधन हो गया।
उनकी आत्मकथा क्या भूलूं क्या याद करूं, नीड़ का निर्माण फिर , बसेरे से दूर और दशद्वार से सोपान तक उनके बहुमूल्य लेखन रहे। हरिवंश राय बच्चन को सबसे बड़ी प्रसिद्धि मिली सन् 1935 में जब उनकी कविता मधुशाला छपि। 18 जनवरी सन् 2003 में मुंबई में जब हरिवंश राय बच्चन की उम्र 95 वर्ष थी तब उनका निधन हो गया।